5 सीटों पर सिमट जाएगी भाजपा, अगर अखिलेश-मायावती से मिल गए राहुल गांधी

नई दिल्ली            
2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी को जो प्रचंड जीत मिली और कांग्रेस जिस तरह 44 सीटों तक सिमट गई उसके बाद विपक्षी दलों में साफ संदेश गया कि बीजेपी को हराना किसी एक दल के बस की बात नहीं है. यहीं से महागठबंधन शब्द अस्तित्व में आया जिसकी पहली परीक्षा बिहार में हुई और आरजेडी-जेडीयू गठबंधन ने विधानसभा चुनाव में जीत हासिल कर इसे पास भी कर लिया.

यूपी में भी विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन की कुछ कोशिशें हुईं लेकिन वो परवान नहीं चढ़ सकीं. हालांकि 2017 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी को मिले भारी बहुमत ने सपा-बसपा जैसे दलों को एक साथ आने पर मजबूर कर दिया. फूलपुर-गोरखपुर और कैराना उपचुनावों में इस गठबंधन का प्रयोग सफल रहा और अब बीजेपी के खिलाफ सपा-बसपा और आरएलडी एकसाथ आ गए हैं. कांग्रेस महागठबंधन से बाहर है.

सर्वे देश का मिजाज यानी मूड ऑफ द नेशन बताता है कि सपा-बसपा-आरएलडी गठबंधन यूपी की 80 में से 58 सीटें जीत सकता है और पिछले चुनाव में 73 सीटें जीतने वाली बीजेपी-अपना दल को 18 सीटों तक सीमित कर सकता है. लेकिन अगर मायावती और अखिलेश यादव अपने गठबंधन में आरएलडी के साथ-साथ कांग्रेस को भी शामिल कर लें तो यूपी बीजेपी के लिए वाटरलू साबित हो जाएगा.

जी हां, सर्वे के नतीजे बताते हैं कि बीजेपी का वोट शेयर 2014 के 43.3 फीसदी से घटकर 36 फीसदी रह जाएगा लेकिन उसे मिलने वाली सीटें 73 की बजाय महज 5 सीट तक सिमट जाएंगी. बाकी की 75 सीटें बीएसपी, एसपी, आरएलडी और कांग्रेस के खाते में चली जाएंगी.

साफ कहा जा सकता है कि अगर बीजेपी के खिलाफ यूपी में महागठबंधन बना तो बीजेपी का सूपड़ा साफ हो जाएगा. 2014 में बीजेपी की ओर से नरेंद्र मोदी को केंद्र की सत्ता तक पहुंचाने में यूपी से मिली 73 (71+2) सीटों का अहम योगदान था. लेकिन सर्वे के नतीजे बताते हैं कि यूपी में महागठबंधन बना तो केंद्र में मोदी की विजय रथ भी रुक सकता है.

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