4 साल से रिहाई के इंतजार में 3 कछुए, 24 घंटे होती है इनकी निगरानी

राजनांदगांव
छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले में कोर्ट की लंबी तारीखों और पेशी की वजह से सालों से तीन कछुए फैसले का इंतजार कर रहे हैं. वे पिछले 4 साल से मुक्त होने के इंतजार में एक टंकी में पड़े हुए हैं. बता दें कि राजनांदगांव के फॉरेस्ट डिपो में इनकी देखभाल का जिम्मा एक डिप्टी रेंजर समेत वन विभाग के 4 कर्मचारियों को दिया गया है. वे 24 घंटे इन कछुओं की निगरानी करते हैं.

इन कछुओं को बसंतपुर पुलिस ने 6 आरोपियों से साल 2015 में बरामद किया था. वे इनका इस्तेमाल तंत्र-मंत्र के लिए करने वाले थे. पुलिस ने छापेमारी करते हुए सभी 6 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया. इनके साथ इन 4 कछुओं को साक्ष्य के तौर पर एक टंकी में रखा गया. बहरहाल, संबंधित मामले में आरोपियों को तो कोर्ट से जमानत मिल गई, लेकिन ट्रायल जारी है.

वन विभाग के अफसरों का कहना है कि कोर्ट में कभी भी इन कछुओं को साक्ष्य के तौर पर प्रस्तुत करना पड़ सकता है. इसलिए इन कछुओं की देखभाल की जा रही है. पुलिस ने कछुओं को वन विभाग को सौंप दिया है, लेकिन इनके भोजन की व्यवस्था नहीं की है. विशेष फंड नहीं होने की वजह से वन विभाग के अफसर अपनी जेब से पैसे खर्च कर इनका भरण-पोषण कर रहे हैं.

वन रेंजर केके वर्मा ने बताया कि कछुए वन विभाग की देखरेख में हैं, इसलिए खुद ही भोजन का प्रबंधन करते हैं. हालांकि जिस टंकी में कछुओं को रखा गया है, उसका पानी हर दिन बदला जाता है ताकि उसमें बदबू न आए.

आरोपियों के पास से बरामद चार कछुओं में से एक की मौत हो गई है. इसके लिए वन विभाग ने बाकायदा कछुए का पोस्टमार्टम भी कराया था. ताकि कोई विवाद या आपत्ति होने पर कछुए की मौत का कारण बता सकें. अफसरों का कहना है कि पुलिस ने जब सौंपा तब से ही उस कछुए के शरीर में चोट के निशान थे. अब तीन कछुओं की निगरानी वन अमले के लिए चुनौती बनी हुई है. वहीं अब तक इन कछुओं को कोर्ट में पेश नहीं किया गया है, लेकिन कोर्ट के आदेश पर पेश करने की संभावना को देखते हुए इन्हें अब तक छोड़ा भी नहीं गया है.

वहीं संबंधित मामले में अधिवक्ता एचबी गाजी ने कहा कि ऐसे मामलों में जो भी वन्य जीव आरोपियों के कब्जे से बरामद होते हैं, वे शासन के अधीन होते हैं. हालांकि वन विभाग चाहे तो संरक्षित क्षेत्र में वन्य जीवों को छोड़ सकता है. वहीं बसंतपुर थाना के टीआई राजेश साहू ने बताया कि जो आरोपी पकड़े गए थे, वे जमानत पर रिहा हो गए हैं. उन्होंने कहा कि कछुओं के संबंध में जानकारी नहीं होने की वजह से उन्हें वन विभाग को सौंप दिया गया था.

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