4 महीनों में 15 गर्भवती महिलाओं की ‘खराब’ खून ने ली जान

चेन्नै
तमिलनाडु के तीन सरकारी अस्पतालों में जनवरी 2019 तक तकरीबन 15 गर्भवती महिलाओं की मौत हो चुकी है। इन महिलाओं की मौत खराब खून (रक्त) चढ़ाए जाने की वजह से हुई। एक प्राथमिक रिपोर्ट में पाया गया कि रक्त को असामान्य तापमान में रखा गया, जिसकी वजह से वह खराब हो गया। हैरान करने वाली बात तो यह है कि खराब खून को कुछ डॉक्टरों ने सुरक्षित प्रमाणित कर दिया।

वरिष्ठ डॉक्टरों और अधिकारियों ने मैटर्नल ऑडिट की। इसके साथ ही उन्होंने धर्मपुरी, होसुर, कृष्णागिरी के सरकारी अस्पतालों की ब्लड बैंक का भी दौरा किया। उन्होंने पाया कि गर्भवती महिलाओं और मांओं की मौत का मुख्य कारण खराब खून चढ़ाया जाना है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न लिखने की शर्त पर बताया, 'खून चढ़ाए जाने के बाद महिलाओं को कई तरह की दिक्कतें हुईं। कुछ मामलों में तो रक्त की मात्रा 50 एमएल से भी कम थी।'

स्वास्थ्य सचिव ने दिए कार्रवाई के आदेश
स्टेट हेल्थ सेक्रटरी बीला राजेश ने तीन ब्लड बैंक के अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक कृत्य के तहत कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं। इनमें डॉ. एम चंद्रशेखर (गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज ऐंड हॉस्पिटल में कार्यरत), डॉ. नारायणस्वामी (कृष्णागिरी जिला मुख्यालय अस्पताल) और होसुर गवर्नमेंट हॉस्पिटल में कार्यरत डॉ. सुगंथा के अलावा एक दर्जन स्टाफ नर्सों और टेक्निशन शामिल हैं।

लापरवाह डॉक्टरों की छिन सकती है नौकरी
एक खत के जरिए स्वास्थ्य सचिव ने डायरेक्टर ऑफ मेडिकल एजुकेशन डॉ. ए एडविन जो और डायरेक्टर ऑफ मेडिकल सर्विसेज डॉ. एन रुक्मणि से मामले में आपराधिक शिकायत दर्ज करने और लापरवाही पर तमिलनाडु सिविल सर्विसेज नियमों के तहत अनुशानात्मक कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। यदि डॉक्टरों और चिकित्सीय सहायकों को कॉन्ट्रैक्ट के तहत नियुक्ति मिली थी तो उनकी सेवा भी समाप्त की जा सकती है।

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