3 बार आए दंगाई, हिंदू-मुसलमानों ने मिलकर खदेड़ा

बाबरपुर
तीन तरफ से दंगाग्रस्त इलाकों से घिरा न्यू जाफराबाद का इलाका हिंदू-मुस्लिम एकता और लोगों की सजगता के कारण ही सुरक्षित बचा हुआ है। यहां के लोग दिन-रात इलाके की पहरेदारी कर बाहरी लोगों पर नजर रखे हुए हैं। दंगाइयों ने यहां भी बवाल करने की कोशिश की। वह भी एक नहीं 3 बार, लेकिन स्थानीय लोगों ने उन्हें यहां से खदेड़ दिया।

दंगा फैलने के अगले ही दिन 24 फरवरी की शाम 4 बजे नारे लगाते हुए कुछ युवक सुदामापुरी के रास्ते से न्यू जाफराबाद में घुसकर बवाल करना चाहते थे। उनके हाथों में लाठी-डंडे, लोहे की रॉड और चेन आदि थी। सुदामापुरी की गली नंबर 12 से 25-30 दंगाई युवकों का गुट वहां पहुंचा था। गली का दूसरा छोर मेन बाबरपुर है। न्यू जाफराबाद की तरफ जैसे ही दंगाई बढ़ने लगे, तभी सुदामापुरी के लोगों ने उन्हें ललकारा। यह देख दंगाई थोड़ा झिझके। स्थानीय लोगों ने उन्हें वापस जाने की चेतावनी दी तो युवक वहां से भाग गए।
 
बवाल करने की दूसरी और तीसरी कोशिश बुधवार रात को हुई। रात 9:30 बजे हिंसक युवकों का एक गुट नारेबाजी करता हुआ रोहताश नगर नाला के रास्ते कॉलोनी के घुसा गया। स्थानीय लोगों ने उन युवकों को धमकाते हुए वापस भेज दिया।

इसके बाद रात लगभग 1:30 बजे के करीब बाहरी युवकों का दूसरा गुट उसी रास्ते से वहां पहुंचा। लोगों ने बताया कि हिंसक युवकों ने 2-3 राउंड गोली भी चलाई थी। स्थानीय लोगों ने समझदारी दिखाई और वे दंगाइयों के उकसावे में नहीं आए और तुरंत पुलिस को फोन कर सूचना दी। कुछ देर बाद वहां पैरामिलट्री के जवान पहुंचे और उन्होंने युवकों को खदेड़ दिया।
 
सुदामापुरी के लोगों ने पेश की एकता की मिसाल
1992 में हुआ दंगा न्यू जाफराबाद और वाल्मिकी बस्ती सुदामापुरी के कुछ युवकों के बीच हुई हिंसा का परिणाम था। 23 फरवरी को दंगे शुरू होने के बाद मुस्लिम बाहुल्य न्यू जाफराबाद के निवासी अपने पड़ोसियों से थोड़ा सहमे हुए थे, लेकिन सुदामापुरी के लोगों ने दंगाईयों को भगाकर एकता की मिसाल पेश की।

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