29घंटे तक पड़ी रही कोरोना वायरस मरीज की अधजली लाश

गाजियाबाद
उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। यहां के श्मशान घाट में लाई गई एक लाश 29 घंटे तक अधजली पड़ी रही। लाश का हिंडन रीवर बैंक में विद्युत शवदाह गृह में अंत्येष्टि हो रही थी। उसी दौरान कुछ तकनीकी खराबी के चलते कोरोना वायरस से मरे मरीज की अधजली लाश ऐसे ही 29 घंटे तक पड़ी रही। हैरानी वाली बात यह है कि इस विद्युत शवदाह को इसी जनवरी के महीने में गाजियाबाद डिवेलपमेंट अथॉरिटी ने नगर महापालिका का सौंपा था। इसकी लागत 1.20 करोड़ रुपये आई थी।

इंदिरापुरम में रहने वाले दिल्ली के एक व्यवसायी की सोमवार को कोरोना वायरस से मौत हो गई थी। उनकी लाश को सभी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद घर वाले मंगलवार को लगभग 11 बजे हिंडन विद्युत शवदाह गृह ले गए। व्यवसायी का शव आधा ही जल पाया था कि अचानक तकनीकी खराबी के चलते 1 बजे मशीन बंद हो गई।

एक दूसरे पर जिम्मेदारी डालते रहे अधिकारी
तकनीकी खराबी के बाद नगर महापालिका और डिवेलपमेंट अथॉरिटी एक दूसरे पर जिम्मेदारी डालते रहे। अधिकारियों के बीच विवाद में रुके दाह संस्कार के कारण शव 29 घंटे तक ऐसे ही अधजला पड़ा रहा। अमानवीय यह रहा कि इस दौरान मृतक के परिवारवाले 29 घंटे तक भूखे-प्यासे वहीं श्मशान घाट पर ही बने रहे। बुधवार की दोपहर को दाह संस्कार के बाद सभी घर गए।

29 घंटे तक भूखे-प्यासे श्मशान घाट पर बने रहे घरवाले
मृतक के एक रिश्तेदार ने कहा, 'उन लोगों ने मृतक का भी सममान नहीं किया। जीडीए और जीएमसी की व्यवस्था बहुत खराब थी। हम लोगों के यहां रिवाज है कि जब तक शव का दाह संस्कार नहीं होता हम लोग कुछ न तो खा सकते हैं न पी सकते हैं। अधिकारियों की लापरवाही से हम लोगों को 29 घंटे तक भूखा प्यासा रहना पड़ा। गर्मी से हम लोगों की हालत भी बिगड़ रही थी लेकिन किसी को तरस नहीं आया।'

परिवार बोला- शव का भी नहीं किया सम्मान
लोगों ने बताया कि जरा सी पैनल में आई गड़बड़ी को ठीक करने में उन लोगों ने इतना समय लिया। घरवालों ने बताया कि वे लोग बार-बार अधिकारियों को फोन करते रहे लेकिन किसी ने जिम्मेदारी नहीं दिखाई। हम लोगों को चिंता थी कि अधजला शव पैनल पर पड़ा है। घरवालों ने कहा कि उन लोगों को जितना दुख उनके अपने के जाने का नहीं हुआ उससे ज्यादा दुख उनके शव के अपमान का हुआ है।

जीडीए और जीएमसी ने एक दूसरे पर लगाया आरोप
म्युनिसिपल कमिश्नर दिनेश चेंद्र ने इस मामले में जीडीए को जिम्मेदार बताया, 'विद्युत शवदाह गृह पूरी तरह से बिना तैयार किए ही जीडीए ने हम लोगों को सौंप दिया। फिलहाल वह ठीक काम कर रहा था। यहां पर कोरोना वायरस के कई मृतकों का दाह संस्कार हो चुका है। मंगलवार को अचानक तकनीकी खराबी के बाद यह बंद हो गया। हमें खराबी ठीक करने में थोड़ा समय लगा।'

वहीं जीडीए के अधिकारियों ने जीएमसी पर आरोप लगाया कि उन्होंने शवदाह गृह को जब सौंपा था, वह सही से काम कर रहा था। जीएमसी उसका सही से मैन्टीनेंस नहीं कर रहे हैं इसलिए ऐसा हुआ और इसके बंद होने के जिम्मेदार वही हैं।

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