2020 में CM फेस: मांझी- तेजस्वी आमने-सामने!

पटना
बिहार में विपक्षी महागठबंधन में सबकुछ ठीक नहीं है। हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (एचएएम) और लालू यादव की पार्टी आरजेडी के बीच रार पैदा होती दिख रही है। दरअसल, एचएएम सुप्रीमो और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने कहा है कि अगर अगले साल चुनाव में गठबंधन की सरकार बनती है तो वह मुख्यमंत्री के दावेदार होंगे। इसके बाद से ही महागठबंधन में बिखराव को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं। बता दें कि लालू यादव के छोटे बेटे और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को आरजेडी की तरफ से अगले सीएम के दावेदार के रूप में पेश किया जा चुका है।

मई 2014 से फरवरी 2015 तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे मांझी ने गुरुवार को मीडिया के सामने यह बयान दिया कि वह सीएम दावेदार हो सकते हैं। इस दौरान उन्होंने लालू प्रसाद यादव के छोटे बेटे तेजस्वी यादव की अनुभवहीनता के बारे में भी चर्चा की जिन्हें आरजेडी पहले ही मुख्मयंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पेश कर चुका है। उधर, महागठबंधन का एक अन्य घटक दल कांग्रेस भी 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पेश करने को लेकर उहापोह में है।

बता दें कि मांझी तेजस्वी यादव के बहुत बड़े प्रशंसक रहे हैं जिन्होंने 2015 के विधानसभा चुनाव में महज 25 साल की उम्र में राजनीतिक उपस्थिति दर्ज कराई थी। जब तेजस्वी को उपमुख्यमंत्री बनाया गया था, तब भी मांझी ने इसकी प्रशंसा की थी।

मांझी ने मुख्यमंत्री पद से हटने और नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर लौटने के लिए मार्ग प्रशस्त करने के लिए कहे जाने पर विरोध में जेडीयू छोड़कर नई पार्टी एचएएम बनायी थी। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) से निकलने और महागठबंधन में शामिल होने के बाद आरजेडी की मदद से अपने बेटे को विधान परिषद में भेज चुके मांझी के मन में लोकसभा चुनाव में महागठबंधन के बहुत खराब प्रदर्शन पर तेजस्वी यादव के नेतृत्व को लेकर संशय पैदा हो गया है।

लोकसभा चुनाव के बाद उठे सवाल
पांच दलों के महागठबंधन को बिहार में संसदीय चुनाव में करारी शिकस्त मिली थी और 19 सीटों पर चुनाव लड़ने वाल आरजेडी को एक भी सीट नहीं मिली थी। आम चुनाव के बाद के महीनों में तेजस्वी यादव के लंबे समय तक निष्क्रिय रहने और महीने भर चले विधानसभा के मानसून सत्र में नहीं आने पर आरेजडी के सहयोगी दलों में उनके नेतृत्व को लेकर असंतोष बढ़ता गया। इसके अलावा, जब हाल ही में मांझी ने राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव से मुलाकात की तो कई भृकुटियां तन गईं।

आरजेडी ने बोला मांझी पर हमला
पूर्व राजद सांसद पप्पू यादव तेजस्वी यादव के कटु आलोचक है, उन्हें (पप्पू यादव को) लालू यादव ने पार्टी विरोधी गतिविधियों को लेकर निष्कासित कर दिया था। इसके बाद उन्होंने जन अधिकार पार्टी बनाई थी। मांझी के इन कदमों पर आरजेडी उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने एक बयान जारी कर एचएएम अध्यक्ष पर अधीर होने का आरोप लगाया और शिकायत की कि उन्होंने नेतृत्व का मुद्दा इसी हफ्ते के प्रारंभ में हुई महागठबंधन की बैठक में नहीं उठाया और अब सार्वजनिक रूप से बयान दे रहे हैं।

'मांझी खुद को हंसी का पात्र बना रहे'
उन्होंने कहा, 'वह (मांझी) अपने को हंसी का पात्र बना रहे हैं और विरोधियों को हम पर व्यंग्य करने का मौका दे रहे हैं। यदि उनकी कोई आकांक्षा या शिकायत है तो उन्हें महागठबंधन के अंदर रखना चाहिए और उसे सार्वजनिक रूप से नहीं बोलना चाहिए।'

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