2019 लोकसभा चुनाव: प्रियंका गांधी के लिए बेहद मुश्किल होगी पूर्वी यूपी की डगर!

वाराणसी
प्रियंका गांधी को जैसे ही कांग्रेस महासचिव बनाने के साथ पूर्वी उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी सौंपी गई, वाराणसी में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने 'काशी की जनता करे पुकार, प्रियंका हो सांसद हमार' जैसे नारे लगाने शुरू कर दिए। इस हाई प्रोफाइल सीट से फिलहाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सांसद हैं और यह सीट पूर्वी उत्तर प्रदेश में ही आती है।

कांग्रेस के लिए उत्तर प्रदेश में पिछले कुछ सालों के दौरान काफी कुछ बदल गया है। साल 1984 में जिस कांग्रेस पार्टी ने उत्तर प्रदेश की 85 में से 83 लोकसभा सीटें जीती थीं, वह 2014 में सिर्फ दो सीटों राहुल गांधी की अमेठी और सोनिया गांधी की रायबरेली सीट तक ही सीमित हो गई। हाल ही में हुए एसपी-बीएसपी और आरएलडी के गठबंधन में जगह ना मिलने से कांग्रेस के लिए मुसीबतें और बढ़ती दिख रही थीं।

प्रियंका को वाराणसी से चुनाव लड़ाने की कवायद
प्रियंका के आने से पार्टी नेताओं में एक अलग उत्साह देखने को मिला है। वाराणसी से साल 2014 में मोदी के खिलाफ कांग्रेस के कैंडिडेट रहे अजय राय ने कहा, 'प्रियंका दीदी ने ही मुझे 2014 में मोदी के खिलाफ उतरने के लिए कहा था। इस बार मैं उनसे यहां से उतरने की गुजारिश की है। हम सब तैयार हैं। मोदी यहां से बुरी तरह हारेंगे।' उन्होंने कहा, 'प्रियंका के राजनीति में आने का असर आसपास के राज्यों में भी दिखेगा।'

बीजेपी का प्रियंका को चुनौती मानने से ही इनकार
हालांकि पूर्वी उत्तर प्रदेश से बीजेपी के दिग्गज नेता प्रियंका को चुनौती मानने से ही इनकार कर रहे हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश में बीजेपी का दिग्गज चेहरा और गाजीपुर से सांसद और केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा ने कहा कि एसपी-बीएसपी गठबंधन के बाद कांग्रेस प्रियंका को लाने पर मजबूर हुई है। उन्होंने कहा, 'प्रियंका के महासचिव बनने पर यूपी से ज्यादा खुशी दिल्ली में देखने को मिल रही है। वह तो 2017 में कांग्रेस और एसपी के बीच सीट शेयरिंग में भी अहम भूमिका निभा रही थीं, लेकिन परिणाम क्या हुआ था?'

पूर्वी उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की कोशिश होगी कि वह अपने दलित, ब्राह्मण और मुस्लिम वोट बैंक पर फिर से पकड़ बनाए। कांग्रेस को पता है कि उसकी खोई हुई जमीन पर यहां अब बीजेपी और एसपी-बीएसपी का कब्जा है, मगर वह पूरी कोशिश करेगी कि इस क्षेत्र पर अपना खोया प्रभाव फिर से पाया जाए।

कांग्रेस के पास वोट बैंक का टोटा
चुनावों में सबसे खास बात यह मानी जाती है कि ब्राह्मण और मुस्लिम वोटर्स पार्टी की जीतने की क्षमता को देखकर वोट करते हैं। ऐसे में राजनीतिक रूप से सशक्त ब्राह्मण वोटर संघर्षरत कांग्रेस को अपना वोट देकर उसे खराब नहीं करना चाहेंगे। मुस्लिम वोटर्स अपना वोट उसे ही देते हैं, जो बीजेपी को हरा सके, ऐसे में उनके सामने एसपी-बीएसपी-आरएलडी गठबंधन ज्यादा मजबूत ऑप्शन है। दलित वोटर्स के लिए बीएसपी और मायावती ही सबसे बड़ा चेहरा हैं, चाहे किसी से गठबंधन हो या ना हो।

दोहरी चुनौती से कैसे निपटेंगी प्रियंका?
पूर्वी उत्तर प्रदेश इस समय कई दिग्गज बीजेपी नेताओं का गढ़ है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (गोरखपुर), मनोज सिन्हा (गाजीपुर), महेंद्र नाथ पांडेय (चंदौली), राजनाथ सिंह (चंदौली), केशव प्रसाद मौर्य (प्रयागराज) और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बनारस सीट पर बीजेपी के बड़े नेताओं की साख दांव पर होगी। दूसरी ओर बीजेपी से निपटने के लिए एसपी-बीएसपी का पूरा ध्यान अगले तीन महीनों में अपने खोए वोटबैंक को फिर से बटोरने पर होगा, ऐसे में प्रियंका गांधी के लिए इस दोहरी चुनौती का मुकाबला करना आसान नहीं होगा।

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