2019 के लिए सीएम कमलनाथ का हिन्दुत्व के साथ ग्रामीण रोजगार पर फोकस

भोपाल
मध्यप्रदेश में इन दिनों सरकार और विपक्ष दोनों ही दल लोकसभा चुनाव को लेकर सक्रिय हो गए हैं। लोकसभा चुनाव से पहले कमलनाथ सरकार ने अपने वचन पत्र के एक और वादे को पूरा करने का निर्देश दिया है। राज्य सरकार ने अगले चार माह के भीतर 1000 गौ-शालाएं खोलने का निर्णय लिया है। इसमें एक लाख निराश्रित गौ-वंश की देख-रेख होगी और 40 लाख मानव दिवसों का निर्माण होगा। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में अब तक कोई भी शासकीय गौ-शाला नहीं खोली गयी थी। सीएम ऑफिस की तरफ से बताया गया कि कमल नाथ ने मंगलवार को मंत्रालय में प्रोजेक्ट गौ-शाला को तत्काल पूरा करने के निर्देश दिए। वहीं, ग्रामीण विकास विभाग प्रोजेक्ट गौ-शाला का नोडल विभाग होगा।
 
ये संस्थाएं करेंंगी क्रियान्वयन
सीएम ऑफिस की तरफ से बताया गया कि ग्राम पंचायत, स्व-सहायता समूह, राज्य गौ-संवर्धन बोर्ड से संबद्ध संस्थाएं एवं जिला समिति द्वारा चयनित संस्थाएं प्रोजेक्ट गौ-शाला का क्रियान्वयन करेंगी। मुख्यमंत्री ने निजी संस्थाओं से भी इस परियोजना में भाग लेने का आग्रह किया। उन्होंने स्वामित्व संचालन और प्रबंधन के आधार गौ-शालाओं के संचालन की सम्भावनाएं तलाशने के भी निर्देश दिए।
 
ग्रामीण रोजगार होंगे निर्मित
सीएम कमलननाथ ने कहा कि प्रोजेक्ट गौ-शाला से शहरों और गांवों में निराश्रित पशुओं द्वारा पहुंचाए जा रहे नुकसान से निजात मिलेगी। निराश्रित पशुओं को घर आश्रय मिलेगा। साथ ही ग्रामीण रोज़गार के भी अवसर निर्मित होंगे। चार माह बाद इन गौ-शालाओं का विस्तार होगा। गौ-शाला प्रोजेक्ट के लिए कलेक्टर की अध्यक्षता में जिला स्तरीय समिति होगी। विकासखंड स्तर की समिति में एसडीओ राजस्व अध्यक्ष होंगे। इस प्रोजेक्ट के तहत बनने वाली गौ-शाला में शेड, ट्यूबवेल, चारागाह विकास, बायोगैस प्लांट, नाडेप, आदि व्यवस्थाएँ होंगी। फंड की व्यवस्था पंचायत, मनरेगा, एमपी-एमएलए फंड तथा अन्य कार्यक्रमों के समन्वय से होगी। जिला समिति गौ-शालाओं के लिए स्थल चुनेंगी।

भारतीय राजनीति और गाय
भारत में गायों को लेकर लंबे समय से राजनीति हो रही है। 2014 में केन्द्र में मोदी की सरकार बनने के बाद गाय को लेकर सियासत तेज हो गई थी। मध्यप्रदेश में कांग्रेस ने सत्ता में वापसी के लिए गाय को मुद्दा बनाया था। कांग्रेस द्वारा कहा गया था कि गोवंश की सुरक्षा के लिए प्रदेश भर में गोशालाओं का निर्माण किया जाएगा। वहीं, लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा ने जहां राम मंदिर को लेकर कोर्ट में याचिका दायर की है वहीं, मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार ने गौशालाएं खोलने के लिए निर्देश दिए हैं। ऐसे में जानकारों का कहना है कि लोकसभा चुनाव से पहले कोई भी दल हिन्दुत्व के मुद्दे पर पिछड़ना नहीं चाहता है। ऐसे में कमलनाथ सरकार ने गौवंश की सुरक्षा के लिए गौशाला के निर्माण का निर्देश देकर ग्रामीण क्षेत्रों को फोकस करने की कोशिश की है।
 
प्रदेश की 614 गौशालाओं को मिल रहा है अनुदान
मध्यप्रदेश में सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 614 गौशालाएं ऐसी हैं जो निजी हाथों में हैं, इनके संचालन के लिए सरकार से अनुदान मिलता है। लेकिन मध्य प्रदेश में एक भी सरकारी गौशाला नहीं है जिसपर सरकार का सीधा नियंत्रण हो। यही वजह है कि लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस प्रदेश में सरकारी गौशालाओं का निर्माण करना चाहती है।

गौ अभ्यारण्य में हो रही है गायों की मौत
सरकार भले ही गायों की दुर्दशा सुधारने की बात कर रही है। लेकिन मध्य प्रदेश के सुसनेर में मौजूद गौ अभ्यारण्य में एक ही रात में 35 से ज्यादा गायों की मौत का मामला सामने आया है। गायों को आश्रय देने के साथ ही गोबर और गाय के मूत्र से प्राप्त कीटनाशकों और दवाओं को बढ़ावा देने के लिए बनाए गए इस अभ्यारण्य के हालात चिंताजनक हैं। आगर मालवा जिले में में बनाए गए देश के पहले गौ अभ्यारण में उद्घाटन के करीब एक साल बीत जाने के बाद भी गायों की स्थिति में सुधार नहीं आया है।

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