2000 करोड़ से ज्यादा का हो सकता है फोर्टिस फ्रॉड
नई दिल्ली
एक सरकारी अधिकारी ने कहा है कि गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एस.एफ. आई.ओ.) की जांच मुताबिक फोर्टिस हैल्थकेयर लिमिटेड में कथित फंड स्थानांतरण की राशि 2000 करोड़ से ज्यादा हो सकती है। वहीं सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) को भी आशंका है कि फोर्टिस फ्रॉड की राशि 403 करोड़ रुपए से अधिक हो सकती है।
सेबी पहले ही 500 करोड़ रुपए की राशि जोकि प्रोमोटर और प्रोमोटर संबंधित कंपनियों को स्थानांतरित हुई है, को दिसम्बर महीने में सिंह बंधुओं से रिकवर करने के आदेश दे चुकी है। एक अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि कथित फंड स्थानांतरण के केंद्र में राधास्वामी सत्संग ब्यास के प्रमुख गुरिंद्र सिंह ढिल्लों और मालविन्द्र सिंह व शिवेन्द्र सिंह के पूर्व सहयोगी संजय गोधवानी हैं।
छह प्रोमोटर संबंधी कंपनियों का इस्तेमाल फंड स्थानांतरण के लिए हुआ है। इनमें से कुछ तथ्य मालविन्द्र सिंह द्वारा दायर शिकायत, दिल्ली में आर्थिक अपराध शाखा और एस.एफ.आई.ओ. द्वारा निष्कर्षों से भी सामने आए। ये आर.एच.सी. होल्डिंग प्राइवेट लिमिटेड के बीच लेन-देन की एक शृंखला की गहरी तस्वीर दर्शाते हैं। मालविन्द्र और शिवेन्द्र सिंह द्वारा प्रचारित कम्पनी आर.एच.सी. ने ढिल्लों परिवार के सदस्यों को 5482 करोड़ रुपए का ऋण दिया।
यह कथित रूप से सिंह ब्रदर्स द्वारा नियंत्रित एक और कम्पनी फोर्टिस और रैलिगेयर एंटरप्राइजेज लिमिटेड द्वारा प्रदान की गई 1006.3 करोड़ में से एक है। यह फंड फोर्टिस और रैलिगेयर एंटरप्राइजेज के शेयरहोल्डर्स का है। ये छह कंपनियां बैस्ट हैल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड, देवेरा डिवैल्पर्स प्राइवेट लिमिटेड, फर्न प्राइवेट लिमिटेड, मोडलैंड वियर्स प्राइवेट लिमिटेड, एडैप्ट क्रिएशन प्राइवेट लिमिटेड और ग्रीनलाइन बिल्डवैल प्राइवेट लिमिटेड हैं। मालविन्द्र सिंह ने अपनी शिकायत में दावा किया कि इस संबंध में उन्हें कंपनियों के ऑडिट के बाद पता चला मालविन्द्र सिंह ने दावा किया कि उनके भाई शिवेन्द्र सिंह ने ढिल्लों के साथ मिलकर इन फर्मों को आर.एच.सी. को बेचने के लिए दबाव बनाया। मालविन्द्र सिंह ने कहा कि कंपनियों को कानूनी वैधता, समझौतों के निष्पादन और उनके व्यवसायों पर किसी भी जांच के बिना अधिग्रहण किया गया था।