20 सप्ताह से अधिक होने पर भी असामान्य भ्रूण का गर्भपात रोका नहीं जा सकता: अदालत

नई दिल्ली
दिल्ली हाई कोर्ट ने 25 सप्ताह की गर्भवती महिला को इस आधार पर गर्भपात की अनुमति प्रदान कर दी कि यह बच्चा सामान्य से बड़े गुर्दों वाला था और पैदा होने के बाद उसके जिंदा बचने की संभावना नहीं थी। अदालत ने कहा कि असामान्य भ्रूण का गर्भपात कराने के अधिकार से सिर्फ इसलिए इनकार नहीं किया जा सकता कि गर्भावस्था 20 सप्ताह से अधिक की है।

चीफ जस्टिस डी एन पटेल और जस्टिस सी हरि शंकर की बेंच ने कहा कि भ्रूण के असामान्य होने पर गर्भावस्था 20 सप्ताह से अधिक होने पर गर्भपात पर रोक लगाने वाले गर्भपात संबंधी कानून की धारा और मां के जीवन पर खतरा होने की स्थिति में इस रोक में ढील देने के प्रावधान अलग-अलग नहीं बल्कि एक साथ जोड़कर पढ़े जाने चाहिए।

बेंच ने कहा कि हम इस बात से सहमत हैं कि वर्तमान मामले की तरह भ्रूण की स्थिति संकटग्रस्त होने पर इस कानून की धारा 3 (2) में ढील दी जानी चाहिए और गर्भपात कराने के अधिकार से सिर्फ इसलिए इनकार नहीं किया जा सकता क्योंकि गर्भावस्था 20 सप्ताह से अधिक की है। अदालत ने उच्च न्यायालय के निर्देश पर एम्स द्वारा गठित मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट पर गौर करने के बाद महिला को गर्भपात की अनुमति दी।

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