1992 में शुरू हुआ था मोदी का मिशन कश्मीर, 27 साल में ऐसे हुआ पूरा

 
नई दिल्ली 

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने की केंद्र सरकार की तैयारी अब पूरी हो चुकी है. गृहमंत्री अमित शाह ने सोमवार को अनुच्छेद 370 हटाने के संकल्प के साथ ही जम्मू कश्मीर पुनर्गठन विधेयक और जम्मू कश्मीर आरक्षण दूसरा संशोधन विधेयक राज्यसभा में पास करा लिया. जम्मू कश्मीर पुनर्गठन विधेयक के पक्ष में 125 और विपक्ष में 61 वोट पड़े. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मिशन कश्मीर उनकी 1992 की कश्मीर यात्रा से शुरू होता है. तब वो गुजरात के मुख्यमंत्री भी नहीं थे. बस बीजेपी के एक कार्यकर्ता थे. 27 साल पहले बीजेपी के तत्कालीन अध्यक्ष डॉक्टर मुरली मनोहर जोशी की एकता यात्रा में मोदी उनके सारथी थे.

 
मुरली मनोहर जोशी और नरेंद्र मोदी 26 जनवरी 1992 को श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगा फहराने पहुंचे थे. वहीं किसी ने भी कल्पना नहीं की थी कि सोमवार को नरेंद्र मोदी अनुच्छेद 35 ए ही नहीं, बल्कि अनुच्छेद 370 हटाने का ही रास्ता साफ कर देंगे. पीडीपी सांसद तो अपने कपड़े फाड़कर, चीख पुकार मचाने लगे. मोदी सरकार के इस सबसे बड़े फैसले पर विपक्ष हंगामा करता रहा तो बीजेपी के सांसद मेजें थपथापे रहे.

जम्मू कश्मीर पुनर्गठन विधेयक विधेयक के बाद जम्मू-कश्मीर के दो हिस्से हो जाएंगे. एक होगा जम्मू-कश्मीर, दूसरा हिस्सा होगा लद्दाख. दोनों राज्य केंद्र शासित प्रदेश होंगे. जम्मू-कश्मीर में विधानसभा होगी जिस पर उपराज्यपाल के जरिए केंद्र का ही नियंत्रण रहेगा. दूसरा हिस्सा लद्दाख का होगा, जो चंडीगढ़ और दमन-दीव की तरह सीधे केंद्र के नियंत्रण में रहेगा.
 
कब जन्मा अनुच्छेद 370?

26 अक्टूबर 1947 को जम्मू कश्मीर के राजा हरि सिंह ने भारत के साथ विलय संधि की. समझौते के मुताबिक भारत सरकार जम्मू कश्मीर में सिर्फ विदेश, रक्षा और संचार मामलों में ही दखल दे सकती थी. 17 अक्टूबर 1949 को जम्मू-कश्मीर का ये विशेष दर्जा अनुच्छेद 370 के तौर पर संविधान का हिस्सा बन गया.

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