108 फ्लैट बनकर तैयार, पिंक लाइन मेट्रो का रास्ता फिर भी नहीं साफ

 
नई दिल्ली

सरकारी एजेंसियों में खींचतान के चलते मेट्रो की पिंक लाइन के अधूरे हिस्से को पूरा करने की राह में आ रही अड़चनें अभी तक दूर नहीं हो पाई हैं। मयूर विहार पॉकेट-1 और त्रिलोकपुरी स्टेशनों के बीच मेट्रो लाइन को एक छोर से दूसरे छोर तक कनेक्ट किया जाना है। काम डेढ़-दो साल से रुका हुआ है, क्योंकि त्रिलोकपुरी के 15 ब्लॉक में स्थित जिन फ्लैटों के बीच से मेट्रो लाइन गुजरनी है, वहां के लोगों के पुनर्वास का मसला अभी तक सुलझ नहीं पाया है। 
 
पुनर्वास के लिए जो नए फ्लैट बनाए गए हैं, उनके सामने स्थित मुख्य सड़क की चौड़ाई को बढ़ाने के लिए डीडीए को मास्टर प्लान में संशोधन करना है, लेकिन यह काम भी तकनीकी पेचीदगियों में फंसा हुआ है। इसके चलते मेट्रो की यह लाइन दो टुकड़ों में बंटकर चल रही है। डीएमआरसी को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है। 

डीएमआरसी के सूत्रों के मुताबिक, मेट्रो लाइन जहां से गुजरनी है, वहां रहने वाले लोगों के पुनर्वास के लिए सड़क के दूसरी ओर 108 नए फ्लैट्स बनकर तैयार हो चुके हैं। अब मामला रोड की चौड़ाई को लेकर फंसा है। मौके पर रोड की चौड़ाई 21 मीटर है, लेकिन मास्टर प्लान में चौड़ाई 30 मीटर बताई गई है। रोड की चौड़ाई 9 मीटर और बढ़ानी है। डीएमआरसी के लोगों का आरोप है कि डीडीए केवल उसी तरफ सड़क की चौड़ाई बढ़ाना चाहती है, जिधर फ्लैट बने हुए हैं, जबकि डीएमआरसी चाहती है कि सड़क के दोनों तरफ साढ़े 4-4 मीटर चौड़ाई बढ़ाई जाए। दिक्कत यह है कि दूसरी तरफ चौड़ाई बढ़ाने के लिए जगह ही नहीं है। डीडीए के कहने पर डीएमआरसी ने केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान (सीआरआरआई) से एक स्टडी भी कराई थी, जिसकी रिपोर्ट में सीआरआरआई ने कहा था कि अगर सड़क की चौड़ाई बढ़ाकर 25 मीटर तक भी कर दी जाए, तो भी अगले 10-15 सालों तक यहां जाम की समस्या नहीं आएगी। मगर डीडीए का कहना है कि इसके लिए उसे नए सिरे से मास्टर प्लान में संशोधन करना पड़ेगा। 

नए फ्लैटों का क्या होगा? 
डीडीए के सूत्रों का दावा है कि जब सड़क की चौड़ाई को लेकर मामला फंसता नजर आया, तब उनकी तरफ से सुझाव दिया गया कि जिन 108 परिवारों को दूसरी जगह शिफ्ट किया जाना है, उनके लिए नए मकान रोड के दूसरी तरफ बनाने के बजाय आस-पास की किसी और जगह पर बना दिए जाएं, मगर डीएमआरसी की तरफ से बताया गया कि वह तो 108 नए फ्लैट बनाकर तैयार कर चुकी है। डीडीए के सूत्रों का आरोप है कि इससे पहले की मीटिंगों में डीएमआरसी ने यह बात नहीं बताई थी। बाद में डीएमआरसी की तरफ से यह सुझाव भी दिया गया कि नए फ्लैटों को तोड़कर लोगों को मुआवजा दे दिया जाए, ताकि वे जहां चाहें वहां नया घर ले लें। इसके लिए चार मंजिला मकान की कीमत 49 लाख रुपये तय की गई, जिसमें 40 लाख रुपये ग्राउंड फ्लोर के और 3-3 लाख रुपये ऊपर की तीन मंजिलों के दाम तय किए गए, मगर अब ज्यादातर लोग मुआवजा लेने के लिए राजी नहीं है। डीडीए के अधिकारियों का कहना है कि अगर फ्लैट तोड़े गए, तो सरकार को काफी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा। ऐसे में अब वे दूसरे विकल्प तलाशने की कोशिश कर रहे हैं। इसके लिए इसी महीने डीडीए के अधिकारियों की एक टीम को मौके पर भेजकर सर्वे कराया जाएगा और कोई बीच का रास्ता निकालने की कोशिश की जाएगी। 

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