1,000 बेरोजगारों से कर डाली 2 करोड़ की ठगी, 6 गिरफ्तार

 
नई दिल्ली

जॉब का झांसा देकर एक हजार से अधिक युवाओं से दो करोड़ रुपयों की ठगी करने वाले एक फर्जी जॉब प्लेसमेंट रैकेट को साइबर क्राइम यूनिट ने क्रैक किया है। अब तक छह आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। आरोपियों ने नोएडा सेक्टर-8 में अपना फर्जी कॉल सेंटर खोला हुआ था।

आरोपियों के कॉल सेंटर से एक सर्वर, 13 हार्ड डिस्क, 18 मोबाइल फोन, 4 लैपटॉप और अन्य सामान बरामद हुआ है। पुलिस ने आरोपियों के पांच बैंक खाते भी सीज किए हैं। आरोपियों के पास से 10 हजार बेरोजगार युवाओं के बायोडेटा मिले हैं। आरोपी जिस परिसर में अपना कॉल सेंटर चलाते थे, उसी में एक आरोपी यूट्यूब न्यूज चैनल भी चलाता था। यह सब फर्जीवाड़े पर पर्दा डालने के लिए किया जा रहा था।

साइबर क्राइम डीसीपी अनेश रॉय के मुताबिक, आरोपियों की पहचान नोएडा सेक्टर-74 निवासी कुणाल सिंह, यूपी शाहजहांपुर निवासी गौरव गुप्ता, मोदी नगर निवासी विशाल तंवर, सन्नी, शुभम, गाजियाबाद निवासी शशांक शेखर और केरल निवासी कलपेंद्र के रूप में हुई है। दरअसल एक शिकायत महिला वकील की तरफ से मिली थी। उसने अपना बायोडेटा एक फ्री ऑनलाइन जॉब पोर्टल पर दिया था।

इस बीच उसके मोबाइल पर इंटरनेट नंबर से कॉल आया। कॉलर ने खुद को नामी ऑनलाइन कंपनी का प्रतिनिधि बताकर उसकी नामी कंपनियों में नौकरी लगवाने की बात की। बाद में रजिस्ट्रेशन के नाम पर उससे कुछ रकम ले ली गई। बाद में डॉक्युमेंट मंगवाकर उसके वैरीफिकेशन के नाम पर कुछ रुपये और ले लिए गए। धीरे-धीरे 35 हजार रुपये ऐंठ लिए गए। इधर आरोपियों ने जल्द रुपये वापस करने की बात कर एक पेमेंट लिंक और प्रोमो भेज दिया। उसे डाउनलोड किया तो उनके यूपीआई लिंक पेमेंट ऐप अकाउंटस से और पैसे कट गए।

पुलिस ने छानबीन शुरू की। टेक्निकल सर्विलांस के जरिए पता चला कि आरोपी नोएडा सेक्टर-8 में ऑफिस में अपनी प्लेसमेंट एजेंसी चलाते हैं। 20 सितंबर को वहां छापा मारकर सभी छह आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया। आरोपी कुणाल सिंह मास्टर माइंड है। कुछ सालों पहले वह नोएडा में एक कॉल सेंटर में नौकरी करता था। वहां से उसे ठगी करने का पता चला

। इससे पहले कुणाल पुणे में इसी तरह ठगी के मामले में 2016 में गिरफ्तार हुआ था। वहीं विशाल यूपी से ग्रैजुएट है, दूसरी ओर शुभम मोदी नगर से इंजीनियरिंग में डिप्लोमा कर रहा है। बाकी सभी आरोपी स्कूल छोड़े हुए हैं। कलपेंद्र सिंह राजपूत इन लोगों को फर्जी कागजातों के आधार पर अकाउंट उपलब्ध करवाता था। कॉल सेंटर में 17 सिस्टम लगाकर कॉमन सर्वर लगा हुआ था। इसके बाद बेरोजगार युवाओं का डाटा उसने कई प्लेसमेंट कंपनियों से खरीदा। उसके बाद आरोपी इंटरनेट नंबर से पीड़ितों को कॉल कर उन्हें नामी कंपनियों में नौकरी लगवाने का झांसा देते रहे।
 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *