10 हजार किमी. चलकर आईं पीड़ित महिलाओं ने कहा- अब और शोषण नहीं

 
नई दिल्ली 

परिवार से लेकर समाज तक, थाने से लेकर अदालत तक, हम कहेंगे अपनी कहानी की आवाज के साथ 10 हजार महिलाएं दिल्ली पहुंची। देश भर की रेप की शिकार हजारों महिलाएं आक्रोश और जोश के साथ शुक्रवार को राजधानी में अपनी आवाज बुलंद कर रही थीं। मुंबई से यह कारवां केरल, झारखंड, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश समेत 24 राज्यों और 200 जिलों से गुजरा। यह कारवां राजधानी में था, ताकि रेप के दर्द से जूझती महिलाओं की गरिमा पर कोई उंगली न उठाए।  

शोषण की शिकार महिलाओं के लिए राष्ट्रीय गरिमा अभियान 
‘राष्ट्रीय गरिमा अभियान’ 20 दिसंबर को शुरू हुआ। दो महीने की यात्रा के दौरान सेक्सुअल हैरेसमेंट के शिकार करीब 25000 लोग खुलकर सामने आए, जिनमें करीब 1000 पुरुष भी शामिल हैं। शुक्रवार को रामलीला मैदान में यह यात्रा खत्म हुई समाज के लिए एक चुनौती के साथ। दिल्ली पहुंचकर सरकार से इनकी मांग है कि दोषियों को जल्द से जल्द सजा देने के लिए ठोस पॉलिसी बनाएं और उसे लागू करवाएं। उन्होंने समाज से अपील की है कि न्याय पाने के इस कठिन सफर में उनका साथ दे, न कि उनकी इज्जत पर सवाल करे। 

रेप विक्टिम के लिए कानूनी और मेडिकल लड़ाई के अलावा सामाजिक लड़ाई बहुत बड़ा संघर्ष है। इसका सबूत इस यात्रा में शामिल हुए लोगों की कहानी है। इस दर्द को समझते हुए 10 साल पहले ‘राष्ट्रीय गरिमा अभियान’ शुरू किया गया। अभियान के कन्वीनर आसिफ शेख कहते हैं, ‘10 साल में हमने रेप, गैंग रेप, ट्रैफिकिंग के शिकार 11000 विक्टिम के साथ काम किया। हमने उन्हें समझाया कि वे उस समाज को सुनकर शर्मसार न हों, जो उनकी गरिमा पर सवाल उठा रहा है।’ 

महिलाओं ने सुनाई आपबीती 
रामलीला मैदान में पहुंची एक महिला कहती हैं, ‘मेरी छोटी बच्ची के साथ रेप हुआ, जिसने किया वो गांव का दबंग आदमी है। मैं गरीब हूं और सब पैसे का खेल है। कोई साथ देने के लिए तैयार नहीं। मैं लड़ाई अकेले लड़ रही हूं।’ पंजाब से पहुंची एक महिला बताती हैं, ‘मेरे रिश्तेदार ने ही मेरे साथ गलत किया और परिवार ही डरकर पीछे हो गया। मगर धमकियों के बावजूद मैंने पांच साल तक यह लड़ाई लड़ी क्योंकि मैं जानती थी कि इज्जत मेरी नहीं, उसकी गई थी। आज मेरे घरवाले भी मेरे साथ हैं।’ 

'रेप के बाद सामाजिक अपमान भी झेलना पड़ता है' 
आसिफ कहते हैं, ‘हमारा सर्वे कहता है कि 95% महिलाओं और बच्चों पर सेक्सुअल हैरेसमेंट के मामले रिपोर्ट ही नहीं होते। इसके शिकार पुरुष तो इतना डरते हैं कि क्राइम को दबा देते हैं, क्योंकि समाज उनकी मर्दानगी पर सवाल उठाता है। इस सफर में भी हमें हैरान करने वाले कई अनुभव मिले। किसी को पैसे लेकर केस वापस लेने को कहा गया, किसी को धमकाया गया। टीम के सामने एक महिला सामने आई, जिसने बताया कि उसके पति ने उसे दस साल तक हाथ नहीं लगाया क्योंकि उसका रेप हुआ था।’ 

महिलाओं का हौसला बढ़ाने पहुंचे सामाजिक कार्यकर्ता 
आसिफ का कहना है कि उन लोगों की मांग है कि दोषियों को जल्द से जल्द सजा देने का सिस्टम बने। इससे समाज पर भी असर होगा। वह कहते हैं, ‘हमने 200 से ज्यादा पॉलिसी मेकर्स से बात की है। मध्य प्रदेश में धीमी जांच की कई शिकायतें मिलने पर हमने वहां के सीएम से ‘इन्वेस्टिगेशन स्पेशल यूनिट’ बनाने का आइडिया दिया है। कई डिपार्टमेंट के अधिकारी, एडवोकेट, डॉक्टर को भी हमने जोड़ा है। अभियान सही और सटीक चार्ज के साथ केस मजबूती से फाइल करने, मेडिकल एग्जामिनेशन और न्याय दिलवाने में रेप विक्टिम की मदद करता है।’ रामलीला मैदान में महिलाओं का जोश बढ़ाने के लिए सोशल वर्कर भंवरी देवी, बॉलिवुड एक्ट्रेस चित्रांगदा सिंह, ऋचा चड्ढा समेत कई ऐक्टिविस्ट भी पहुंचे। 
 

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