10 साल पहले स्वीकृत हुई थी राशि, पर नहीं बना आंगनबाड़ी केंद्र का भवन

गरियाबंद 
छत्तीसगढ़ में सरकार नौनिहालों को लेकर कितनी गंभीर रही है, ये गरियाबंद जिले के मुंगझर गांव की तस्वीर देखकर आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है. जिले के अंतिम छोर पर बसी मुंगझर पंचायत में करीब 2500 की आबादी है. वैसे तो इस पंचायत में नौनिहालों के लिए तीन आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हैं, लेकिन इन आंगनबाड़ी केंद्रों की हालत देखकर पसीने छूट जाएंगे.

मुंगझर गांव के कुरलापारा में 10 साल से जो आंगनबाड़ी संचालित है, उसके लिए कोई भवन अब तक स्वीकृत नहीं हुआ है. बच्चे आज भी खुले आसमान के नीचे बैठने को मजबूर हैं. यही हाल बस्तीपारा और गोटियापारा आंगनबाड़ी केंद्रों का भी है. दोनों ही आंगनबाड़ी केंद्र वर्षों से किराए के भवन में संचालित हो रहीं हैं जबकि बस्तीपारा के लिए 10 साल पहले राशि भी स्वीकृत हो चुकी है, फिर भी अब तक नहीं बन सका है.

ऐसा नहीं है कि ग्रामीणों ने कभी इसके लिए आवाज नहीं उठाई बल्कि ग्रामीण से लेकर गांव की सरपंच सुशीला कश्यप इसकी शिकायत की, लेकिन सिर्फ आश्वासनों के सिवाय कुछ नहीं मिला. क्षेत्र के एसडीएम निर्भय साहू से जब इस बारे में पूछा गया तो, उन्होंने पहले से कोई जानकारी न होने का हवाला देते हुए तत्काल जनपद सीईओ से जानकारी लेकर महिला बाल विकास को अवगत कराने की बात कही.

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