​योग मुद्राएं पहुंचाएंगी अस्थमा के मरीजों को लाभ

कोरोना वायरस महामारी के इस दौर में विश्व योग दिवस 2020 कल यानी कि 21 जून को मनाया जाएगा। इससे पहले International Yoga Day पर पूरी दुनिया में बड़ी-बड़ी जगहों पर योग से जुड़े विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता रहा है। प्रधानमंत्री की अगुवाई में भारत की राजधानी दिल्ली में जनपथ मार्ग पर भी हजारों की संख्या में लोग जुटते हैं। इस बार कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए विश्व योग दिवस पर भव्य आयोजन तो नहीं होगा, लेकिन फिर भी लोग पार्क में या फिर अपने घर पर योग कर सकते हैं।

आपको यहां पर ऐसी 3 खास योगा मुद्राओं के नाम बताने जा रहे हैं, जो अस्थमा के मरीजों के लिए बहुत लाभदायक साबित होंगी। आइए अब इन योग मुद्राओं के नाम जानने के साथ-साथ, इनको करने के तरीके के बारे में भी जानते हैं।

योग मुद्राओं के नाम जानने से पहले हमें इस बारे में जरूर जान लेना चाहिए कि आखिर योग मुद्राओं के जरिए कैसे अस्थमा के मरीजों को फायदा पहुंच सकता है? दरअसल, यह तो आपको भी पता होगा कि अस्थमा श्वसन तंत्र से जुड़ी हुई बीमारी है। श्वास नली में आने वाली कुछ रुकावट के कारण अस्थमा की समस्या होती है।

जबकि योग मुद्राओं के जरिए श्वसन तंत्र को मजबूत बनाने और उन्हें सक्रिय रूप से कार्य करने के लिए प्रेरित किया जा सकता है। इसलिए योग मुद्राओं का अभ्यास अस्थमा के मरीजों के लिए फायदेमंद साबित होगा। आइए अब उन खास योग मुद्राओं के नाम जान लेते हैं।

​ज्ञान मुद्रा

योग के ऊपर मौजूद रिसर्च इस बारे में दावा करती हैं कि ज्ञान मुद्रा के जरिए भी अस्थमा से पीड़ित मरीजों को इस बीमारी से होने वाले विशेष जोखिम कारकों से बचाया जा सकता है। ज्ञान मुद्रा का प्रभाव श्वसन तंत्र को ठीक तरह से कार्य करने के लिए प्रेरित करता है।

कैसे करें

    एक समतल स्थान पर योग मैट बिछाएं।
    अब इस पर पद्मासन या फिर वज्रासन की स्थिति में बैठ जाएं।
    अब दोनों हाथों को घुटनों पर रखें।
    अब तर्जनी उंगली के ऊपरी हिस्से को अंगूठे के ऊपरी हिस्से से टच कराएं।
    अब आंखें बंद करें और सामान्य रूप से सांस लेते रहें।
    आप चाहें तो ॐ का उच्चारण भी कर सकते हैं।
    इसका अभ्यास दिनभर में 20 से 25 मिनट तक करने से आपको सकारात्मक लाभ मिलता है।
    आप इसे रोज सुबह उठने के बाद, शाम को या फिर रात में सोने से पहले कर सकते हैं।

​पृथ्वी मुद्रा

पृथ्वी मुद्रा दमा के मरीजों के लिए बेहतरीन रूप से कारगर साबित होती है और इस बारे में वैज्ञानिक अब दिनों के द्वारा भी पुष्टि की जा चुकी है। इस योग मुद्रा के कारण शरीर के आंतरिक अंगों और उनकी कार्य क्षमता को बेहतरीन तरीके से कार्य करने के लिए सहायक माना जाता है। यह फेफड़ों की कार्यक्षमता को भी सुधारता है और आप दमा के कारण होने वाले जोखिम से भी सुरक्षित रह सकते हैं।

कैसे करें

    पृथ्वी मुद्रा का अभ्यास करना बहुत ही आसान है।
    योग मैट पर पद्मासन की स्थिति में बैठ जाएं।
    हथेलियों को खोलें और अनामिका उंगली के सबसे ऊपरी भाग को, अंगूठे के ऊपरी भाग से मिला दें। (चित्रानुसार)
    इसके अलावा बाकी बची हुई उंगलियों को पूरी तरह से खुला रहने दें।
    इस मुद्रा का अभ्यास आप 10 से 15 मिनट तक दिन में दो से तीन बार कर सकते हैं।

​सूर्य मुद्रा

सूर्य मुद्रा योग की एक ऐसी खास मुद्रा है जिसका अभ्यास कई लोगों के द्वारा आम तौर पर भी किया जाता है। दमा के मरीजों के लिए तो यह प्रभावी रूप से मददगार साबित होता है। एक वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार, सूर्य मुद्रा शरीर के तापमान को बढ़ाकर सर्दी-जुकाम की समस्याओं को दूर करके, श्वसन तंत्र को ठीक तरीके से कार्य करने के लिए प्रेरित करता है।

कैसे करें

    समतल स्थान पर योग मेैट बिछाएं और इस पर वज्रासन की मुद्रा में बैठ जाएं।
    अपने हाथों को सामने की ओर लाएं और हथेली को पूरा खोल दें।
    अब दोनों हाथ की अनामिका उंगली को अंगूठे के निचले हिस्से पर लगा दें। (चित्रानुसार)
    अब अंगूठे को अनामिका उंगली के ऊपर रख दें।
    करीब 10 मिनट तक इसी अवस्था में रहें और सामान्य रूप से सांस लेते रहें।
    आप इसे दिनभर में कम से कम दो से तीन बार दोहरा सकते हैं।

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