हिंद महासागर में ‘बढ़ते’ चीन को रोकने की जरूरत: नेवी चीफ

नई दिल्ली
हिंद महासागर में चीन की नौसेना के बढ़ते दखल पर भारतीय नेवी चीफ ऐडमिरल करमबीर सिंह ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। ऐडमिरल करमबीर ने कहा कि अब भारतीय सेनाओं को चीन को जवाब देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि चीन ने अपनी पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की अन्य इकाइयों से पीएलए नेवी में काफी संसाधन भेजे हैं और भारत को इसकी सावधानीपूर्वक निगरानी करनी होगी।
बता दें कि बुधवार को ही चीन के मंत्रालय द्वारा अपने सैन्य विकास पर 'नए युग में चीन की राष्ट्रीय सुरक्षा' शीर्षक से श्वेत पत्र जारी किया गया था। इसमें कहा गया है कि साल 2012 से 2017 के बीच चीन के रक्षा खर्च में औसतन 9.42 फीसदी वृद्धि हुई है।

चीन के श्वेत पत्र पर जवाब देते हुए नेवी चीफ ने कहा कि अफ्रीका के हॉर्न में जिबूती में अपना पहला ओवरसीज बेस स्थापित करने और कराची में नौसैनिक टर्नअराउंड सुविधाएं जारी रखने के बाद हिंद महासागर क्षेत्र में चीनी नौसेना के घुसपैठ को नजरअंदाज करना भारत के लिए जोखिम साबित हो सकता है। उन्होंने कहा कि चीन ने बिना वक्त गंवाए इस क्षेत्र में अपने छह से आठ युद्धपोत लगा दिए हैं।

बजट के दायरे में रहकर देना होगा जवाब
नेवी चीफ करमबीर सिंह ने भारत को अलर्ट रहने को कहा है। उन्होंने कहा, 'हमें चीन पर बेहद सावधानीपूर्वक निगरानी रखनी होगी।' नेवी चीफ ने कहा, ‘यह महज चीनी श्वेत पत्र नहीं है, बल्कि पहले भी यह कहा गया है। वे ग्लोबल पॉवर बनने के इरादे से बहुत से संसाधनों को नौसेना को ट्रांसफर कर चुके हैं। हमें इसे सावधानीपूर्वक देखना होगा और इस बात पर गौर करना होगा कि हम अपने बजट और दायरे में किस तरह से इसका जवाब दे सकते हैं।’

नौसेना में उपयुक्त फंडिंग की जरूरत
नौसेना प्रमुख करमबीर सिंह ने कम रक्षा आवंटन पर कहा, 'नौसेना निर्माण के लिए लंबे समय से राजकोषीय समर्थन की जरूरत है।' इस दौरान करमबीर ने भारतीय नौसेना के आधुनिकीकरण की परियोजनाओं और दूसरे स्वदेशी विमानवाहक पोत के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने कहा, 'हमारी योजना इलेक्ट्रिकल प्रपल्शन और ‘कैटोबार’ के साथ 65,000 टन का जहाज बनाना है।’ कैटोबार (सीएटीओबीएआर) एक ऐसी प्रणाली है जिसका इस्तेमाल किसी एयरक्राफ्ट करियर पर किसी विमान के लॉन्च या रिकवरी में इस्तेमाल किया जाता है।

रक्षा क्षेत्र के बारे में बजट के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘हमें नौसेना का निर्माण करने के लिए दीर्घकालीन वित्तीय सहयोग की जरूरत है, सिर्फ इसी तरीके से हम योजना बना सकते हैं…।' फिलहाल भारतीय नौसेना के पास करीब 140 युद्धपोत और 220 एयरक्राफ्ट हैं लेकिन इनमें से कई रिटायर होने के नजदीक हैं। उपयुक्त फंडिंग के साथ भारतीय नौसेना के पास 2030 तक 212 युद्धपोत और 458 एयरक्राफ्ट होने की उम्मीद है।

जल्द नौसेना में शामिल होगी दूसरी स्कॉर्पीन पनडुब्बी नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह ने इस दौरान यह भी बताया कि भारत की कलवरी श्रेणी की दूसरी स्कॉर्पीन पनडुब्बी को इस साल सितंबर-अक्टूबर तक सेवा में शामिल किया जाएगा। कलवरी श्रेणी की यह स्कॉर्पीन पनडुब्बी अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है। इसमें ऐसी तकनीक है कि दुश्मन देशों की नौसेनाओं के लिए इसकी टोह लेना मुश्किल होगा और यह सटीकता से हमला कर सकती है।

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