हारी जरूर पर झारखंड में पिछड़ी नहीं बीजेपी

रांची
बीजेपी झारखंड की सत्ता से बाहर हो गई, लेकिन उसके लिए संतोष का विषय यह है कि वह मत प्रतिशत के मामले में सबसे बड़े दल के रूप में उभरे प्रतिस्पर्धी झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) से बहुत आगे रही। इतना ही नहीं, बीजेपी अपने प्रतिस्पर्धी गठबंधन की तीनों पार्टियों जेएमएम, कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) को मिले कुल मत प्रतिशत के बिल्कुल करीब रही। बीजेपी को झारखंड में 33.40 प्रतिशत वोट मिला है जबकि प्रतिस्पर्धी गठबंधन को कुल 35.35 प्रतिश वोट मिला जिनमें जेएमएम का 18.72%, कांग्रेस का 13.88% और आरजेडी का 2.75% वोट शामिल है। यानी, बीजेपी और गठबंधन को मिले वोटों में महज 1.9% का अंतर रहा है।

हालांकि, चुनावी राजनीति में एक और एक ग्यारह का सिद्धांत चलता है। शायद यही वजह है कि तीनों दलों ने मिलकर बहुमत के जादुई आंकड़े को भी पार कर लिया। 81 विधानसभा सीटों वाले इस राज्य में सरकार बनाने के लिए 41 विधायकों की ही दरकार है जबकि जेएमएम (30), कांग्रेस (16), आरजेडी (1) गठबंधन के खाते में 47 सीटें आ गईं। बीजेपी को राज्य में 25 सीटें मिलीं और वह 30 सीटों वाली पार्टी जेएमएम के बाद दूसरे नंबर पर है।

आजसू से अलग होना बीजेपी को पड़ा भारी
2014 से राज्य की सत्ता में साझेदार रहा बीजेपी के सहयोगी दल आजसू को 8.10 पर्सेंट वोट मिले हैं। यदि उसके और बीजेपी के वोटों को मिलाकर देखा जाए तो समझा जा सकता है कि तस्वीर कैसे बदल सकती थी। बीजेपी और आजसू यदि साथ चुनाव लड़ते तो गठबंधन को 41.50 प्रतिशत वोट मिलता, जो निश्चित तौर पर जेएमएम, कांग्रेस और आरजेडी के मुकाबले सीटों के लिहाज से भी निर्णायक बढ़त देता।

गठबंधन न साधने से नहीं सध पाई सत्ता?
चुनाव से पहले बीजेपी और आजसू के बीच लंबी रस्साकशी देखने को मिली थी। आखिर में सीटों के बंटवारे पर सहमति न बनने के चलते दोनों ही दलों ने अपनी राह अलग कर ली थी। इसके अलावा 0.73 प्रतिशत वोट हासिल करने वाली जेडीयू और 0.30 पर्सेंट वोट पाने वाली एलजेपी के अलगाव ने भी बीजेपी की संभावनाओं को कमजोर किया। खासतौर पर ऐसे चुनाव में जहां 2% वोट के अंतर ने ही सत्ता का समीकरण तय किया है।

बागी भी पड़ गए भारी, संभाल नहीं पाए रघुबर
झारखंड चुनाव से ठीक पहले बीजेपी को अपने ही नेताओं से काफी बड़े झटके लगे। एक तरफ सरकार में नंबर दो रहे सरयू राय सीएम के खिलाफ ही मैदान में उतर गए तो भगवा पार्टी के बड़े नेता राधाकृष्‍ण किशोर ने बीजेपी का दामन छोड़कर एजेएसयू के साथ हाथ मिला लिया। किशोर का एजेएसयू में जाना बीजेपी के लिए बड़ा झटका रहा।

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