हाई कोर्ट का अहम फैसला : सात दिन में बीमा कंपनियां करें वाहनों के तीन साल के इंश्योरेंस

इंदौर
प्रदेश के हजारों वाहनों के इंश्योरेंस व रजिस्ट्रेशन को लेकर पिछले तीन माह से चल रही खींचतान के बीच इंदौर हाई कोर्ट ने एक अहम फैसला दिया है। कोर्ट ने बीमा कंपनियों को आदेश दिया कि वे अगले 7 दिन में एक सितंबर के बाद बिके वाहनों का तीन साल तक का बीमा करें तथा पॉलिसी जारी होने के बाद आरटीओ वाहनों का रजिस्ट्रेशन करें।

इंदौर की एक ट्रेवल एजेंसी द्वारा दायर याचिका पर सोमवार को जस्टिस एससी शर्मा की बेंच ने यह आदेश दिया। कोर्ट ने याचिका में बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (आइआरडीए) को भी पक्षकार बनाया। बीमा कंपनियों द्वारा तीन साल का बीमा नहीं करने के कारण प्रदेश के हजारों वाहनों का रजिस्ट्रेशन अटका हुआ था और वाहन मालिकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। कमर्शियल वाहन मालिकों को अधिक परेशानी हो रही थी क्योंकि रजिस्ट्रेशन नहीं होने से वे करीब तीन महीने से वाहनों का इस्तेमाल नहीं कर पा रहे थे। सोमवार को शीतकालीन अवकाश के दौरान विशेष बैंच में याचिका पर सुनवाई के बाद आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त 2018 में आदेश दिया था कि एक सितंबर के बाद वाहनों का तीन साल का रजिस्ट्रेशन कराया जाए, लेकिन बीमा कंपनियों के पास तीन साल के बीमा का कोई फार्मेट नहीं है इसलिए मामला उलझ गया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश को मानते हुए आरटीओ ने एक साल के बीमे वाली गाडिय़ों के रजिस्ट्रेशन रोक दिए थे। याचिका दायर करने वाले श्रुति ट्रेवल्स कंपनी के राजेश श्रीवास्तव की वकील रेखा श्रीवास्तव ने बताया वाहन खरीदने वाले ने न केवल उसका आजीवन टैक्स जमा कर दिया, बल्कि एक साल का इंश्योरेंस भी जमा कर दिया है, किंतु वाहनों का रजिस्ट्रेशन नहीं हो रहा है।

सबसे अधिक परेशानी कमर्शियल वाहन मालिकों को हो रही है। श्रीवास्तव का कहना है कि महाराष्ट्र में ऐसे ही मामलों में वाहन चालकों से अंडरटेकिंग लेकर गाडिय़ां रजिस्टर्ड की जा रही है। जब तक बीमा कंपनियां 3 साल के बीमे करना शुरू करें, तब तक मप्र में भी इस तरह की अंडरटेकिंग के आधार पर गाडिय़ों का रजिस्ट्रेशन शुरू किया जाना चाहिए, ताकि इन्हें सडक़ पर चला जा सके।

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