हाईकोर्ट का फैशला शराब नीति मंजूर नहीं तो ठेकेदार शपथ पत्र दे कर दुकान चलाने से करें मना

जबलपुर
हाईकोर्ट ने शराब ठेकेदारों की याचिका पर सुनवाई के बाद अंतरिम आदेश जारी कर दिया है। जिन ठैकेदारों को संशोधित शराब नीति मंजूर नहीं है वो तीन दिन के अंदर शपथ पत्र दे कर शराब दुकाने चलाने से मना कर सकते है। राज्य सरकार इन स्थानों के लिए नए टेंडर जारी करेगी।

कोरोना महामारी के बाद घोषित लाकडाउन और इसके कारण शराब की बिक्री घटने के बाद शराब ठेकेदारों ने  राज्य सरकार से मांग की थी कि जिस कीमत पर शराब ठेके हुए थे उन पर अब ठेका संचालन संभव नहीं है। ऐसे में पुराने ठेकों को निरस्त कर नए सिरे से ठेके किए जाए और शराब ठेकेदारों को उनकी जमा राशि वापस की जाए। ठेकेदारों का कहना था कि वर्तमान में हो रही शराब की खपत के आधार पर ही सरकार को शुल्क लेना चाहिए। इसको लेकर हाईकोर्ट जबलपुर में तीस शराब ठेकेदारों ने याचिका लगाई थी। तीन दिनों तक चली सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने इस मामले में अंतरिम आदेश जारी कर दिए है।

हाईकोर्ट के निर्देश के बाद शराब ठेकेदारों पर सख्ती होना तय है। जिन ठेकेदारों को संशोधित शराब नीति मंजूर नहीं है उन्हें तीन दिन के भीतर शपथ पत्र देना होगा।  ऐसे ठेकेदारों को अपनी शराब दुकाने सरेंडर करना होगा। सरकार इन दुकानों के लिए नए सिरे से टेंडर जारी करेगी।  जिन्हें नई नीति पर कोई एतराज नहीं है उन पर सरकार कोई कार्यवाही नहीं करेगी। ठेकेदारों को सरकार द्वारा दिए गए विकल्पों को चुनना होगा।

हाईकोर्ट ने अभी अंतरिम आदेश जारी किया है। इस मामले में अगली सुनवाई 17 जून को रखी गई है। जो शराब ठेकेदार सरकार की शर्तो पर ठेका चलाना चाहते है वे शपथ पत्र पर इसकी मंजूरी देंगे। जिनका शपथ पत्र नहीं आएगा और जो दुकाने नहीं चलाएंगे वहां सरकार टेंडर तो जारी कर सकेगी लेकिन इसे कोर्ट के अंतिम निर्णय से पहले लागू नहीं कर सकेगी। इसमें आने वाली बिड रिकार्ड होगी। अब यह कोर्ट के निर्देश पर निर्भर होगा कि पुराने ठेकेदार को  ही संचालन का मौका दिया जाए या नए ठेके में आए ठेकेदार को संचालन का मौका दिया जाए।

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