हनी ट्रैप कांड में नया खुलासा- आरोपी महिला ऐसे करा रही थी नेताओं-अफसरों की जासूसी

भोपाल
हनी ट्रैप कांड (Honey trap) में चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक आरोपी महिला बड़े नेताओं (Politicians) और अफसरों (Bureaucrats) की जासूसी (Spying) करा रही थी, इसके लिए वो बाकायदा टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रही थी, भोपाल में इसके लिए एक एक्सचेंज भी तैयार किया गया था. हनी ट्रैप कांड के बीच सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन के आधार पर केंद्र की डीजीपी (DGP) नियुक्ति प्रक्रिया भी चल रही है जिसमें राज्य की ओर से कई अफसरों के नाम भेजे गए हैं. इनमें डीजीपी वीके सिंह आगे तो चल रहे हैं, लेकिन सूत्रों का मानना है कि हनी ट्रैप मामले की छाया उन पर भी पड़ सकती है.

हनी ट्रैप केस में रोजाना एसआईटी को चौंकाने वाली जानकारी हाथ लग रही है. सूत्रों के अनुसार भोपाल से पकड़ी गई आरोपी महिला बड़े नेताओं और अफसरों की जासूसी करा रही थी. ये जासूसी बेंगलुरु की सॉफ्टवेयर कंपनी के जरिए हो रही थी. कंपनी का संचालक संतोष आरोपी महिला के इशारे पर चुनिंदा नेताओं और अफसरों की एसएमएस, चेटिंग और कॉल रिकॉर्डिंग कर रहा था. कंपनी संचालक संतोष का 5 लोगों का स्टॉफ भोपाल में सक्रिय था, इनमें 2 सायबर फॉरेंसिक एक्सपर्ट हैं. कंपनी की एंट्री मप्र में बीजेपी सरकार के जाने के बाद हुई. सॉफ्टवेयर कंपनी फोन की निगरानी के लिए पिगासस सॉफ्टवेयर के बग का इस्तेमाल करती थी. इससे वॉट्सएप, एसएमएस या अन्य तरीकों से बड़े नेताओं और अफसरों के फोन की गैलरी में भेजा जाता था. विधि मंत्री पीसी शर्मा ने कहा कि इस मामले में जो लोग भी आएंगे, उन्होंने जेल भेजा जाएगा.

वहीं गाजियाबाद में किराए से लिए गए फ्लैट को लेकर डीजीपी वीके सिंह और स्पेशल डीजी पुरुषोत्तम शर्मा के बीच चल रहे विवाद की वजह से वीके सिंह के बने रहने पर संशय बना हुआ है. वैसे तो वीके सिंह के कार्यकाल को 8 महीने हो चुके हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के तहत गृह विभाग ने पिछले महीने ही यूपीपीएससी की सिलेक्शन कमेटी को नए सिरे से डीजीपी पद के लिए 32 अधिकारियों के नामों का पैनल भेजा है. अब सिलेक्शन कमेटी इस पैनल में से 3 नाम राज्य सरकार को भेजेगी और इन्हीं 3 नामों में से सरकार प्रदेश के लिए डीजीपी के नाम पर मुहर लगाएगी. वरिष्ठता के आधार पर वीके सिंह के नाम पर मोहर लग सकती है और वो बने रह सकते हैं. लेकिन हनीट्रैप में विवादित होने की वजह से संशय की स्थिति बनी हुई है. मंत्री पीसी शर्मा कह भी चुके हैं कि इस मामले में फैसला सीएम कमलनाथ लेंगे.

रोजाना हो रहे नए-नए खुलासों के बीच इनकम टैक्स के वरिष्ठ अधिकारी आरके पालीवाल ने भी सोशल मीडिया पर अपनी सलाह दी है. उनकी मानें, तो ये मामला आयकर का भी है और भष्टाचार का भी. उन्होंने मांग की है कि हाईकोर्ट को मामले में संज्ञान लेकर प्रदेश और केंद्र की संयुक्त टीम से जांच करानी चाहिए.

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