हजारों लोगों ने नहीं किया एनआरसी के लिए आवेदन, खुद को बताया ‘भूमिपुत्र’

 
डिब्रूगढ़ 

आदिवासी समुदायों समेत असम के ऊपरी इलाके में रहने वाले हजारों लोगों ने एनआरसी में अपना नाम शामिल करने के लिए आवेदन ही नहीं किया। उनका मानना है कि उन्हें अपनी नागरिकता साबित करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि वह मिट्टी के पुत्र और पुत्री हैं और यहां पीढ़ियों से रह रहे हैं। अनाधिकारिक डेटा के अनुसार, असम के डिब्रूगढ़, तिनसुकिया और शिवसागर जिले में ही लगभग 8 हजार लोगों ने एनआरसी में नाम दर्ज कराने के लिए आवेदन नहीं किया। 

गौरतलब है कि इन तीनों जिलों में आदिवासी और स्वदेशी जातियों की आबादी अधिक है। डिब्रूगढ़ के निवासी अनंत सोनोवाल (44) भी इन्हीं में से एक हैं। सोनोवाल स्वदेशी सोनोवाल कचारी आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखते हैं और वेस्ट मिलननगर इलाके में अपने परिवार के साथ रहते हैं। एनआरसी प्रक्रिया में आवेदन न करने पर उन्होंने बताया, 'मेरे दो बेटों और मैंने इसके लिए आवेदन नहीं किया। हालांकि मेरी पत्नी का उनके मायके की तरफ से एनआरसी में नाम शामिल करा दिया गया। मुझे लगता है कि यह पूरी तरह निरर्थक प्रक्रिया है। हम भूमिपुत्र हैं। हमारा सरनेम हमारी पहचान का सबूत है। स्वदेशी जाति के लोगों के नाम तो एनआरसी लिस्ट में अपने आप शामिल हो जाने चाहिए।' 

डिब्रूगढ़ के हतिमुरा गांव के निवासी प्रणब दास ने भी अपने परिवार के साथ एनआरसी की लिस्ट में नाम शामिल कराए जाने के लिए आवेदन नहीं किया। उन्होंने बताया, 'मैंने एनआरसी नामांकन फॉर्म खरीदा था, लेकिन मुझे यह काफी जटिल लगा। यहां तक कि हमारे इलाके में कई परिवारों ने इसके लिए आवेदन नहीं किया। हम यहां तीन पीढ़ियों से रह रहे हैं। हम यहीं पले-बढ़े हैं। मुझे नहीं लगता है कि अगर हमारा नाम एनआरसी में नहीं है तो भी कोई समस्या होनी चाहिए।' 

कई वास्तविक नागरिकों के नाम लिस्ट में नहीं 
डिब्रूगढ़ के ही कुमरानीचिगा इलाके से ताल्लुक रखने वाले एक बिजनसमैन पल्लव चक्रवर्ती ने बताया, 'मैं कुछ दूसरे जरूरी कामों में व्यस्त था, इसलिए मैं और मेरा परिवार एनआरसी के लिए आवेदन नहीं कर पाया। हम यहीं पैदा हुए और बड़े हुए। देखते हैं कि हमारे हिस्से में क्या आता है।' एनआरसी के एक अधिकारी के अनुसार, ऐसे लोगों की संख्या पूरे राज्य में कई हजार तक होगी, जिन्होंने आवेदन नहीं किया। उन्होंने आश्चर्य जताते हुए कहा कि यह पूरी प्रक्रिया वास्तविक नागरिकों और अवैध को अलग-अलग करने की थी। इसमें कोई हैरानी नहीं कि कई वास्तविक नागरिक भी इस लिस्ट से छूट गए होंगे। 
 
NRC को लेकर उठ रहे कई सवाल
उन्होंने कहा, 'अब कई संस्थाएं शिकायत कर रही हैं कि वास्तविक नागरिकों के नाम भी लिस्ट से छूट गए हैं लेकिन जब आप खुद से ही आवेदन करने का कष्ट नहीं उठा रहे हैं तो आप लिस्ट में आपका नाम होने की उम्मीद कैसे कर सकते हैं?' 

19 लाख लोग लिस्ट से बाहर 
बता दें क‍ि असम सरकार ने शनिवार को राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) की फाइनल लिस्ट जारी की। इस लिस्‍ट में 19 लाख लोग अपनी जगह नहीं बना पाए हैं। एनआरसी के राज्‍य समन्‍वयक प्रतीक हजेला के अनुसार, कुल 3,11,21,004 लोग इस लिस्‍ट में जगह बनाने में सफल हुए हैं। एनआरसी की फाइनल लिस्‍ट से 19,06,657 लोग बाहर हो गए हैं। 

एनआरसी बाहर से किए गए लोगों को अब तय समय सीमा के अंदर विदेशी न्यायाधिकरण के सामने अपील करनी होगी। सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्‍त तक एनआरसी की अंतिम सूची जारी करने की अंतिम समय सीमा तय की थी। एनआरसी लिस्‍ट को बनाने की प्रक्रिया 4 साल पहले शुरू हुई थी और सरकार ने तय समय के भीतर यह सूची जारी कर दी है। 
 

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