स्कूल शिक्षा विभाग का कलेक्टरों को फरमान शिक्षकों को बीएलओ से करें मुक्त
भोपाल
स्कूल शिक्षा विभाग ने सभी कलेक्टरों को फरमान जारी कर कहा है कि शिक्षकों को बीएलओ बनाए जाने से शिक्षा विभाग की शाला स्तर की गतिविधियों को संपादित करने में प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। इसलिए यथा संभव शिक्षकों को बीएलओ की डयूटी से मुक्त रखा जाए।
निर्देशों में कहा गया है कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम की धारा 27 में शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यो में न लगाए जाने के स्पष्ट प्रावधान है। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा भारत निर्वाचन आयोग विरुद्ध सेंट मेरी स्कूल एवं अन्य के प्रकरण में पारित आदेश को विचार में लेते हुए भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने निर्वाचन कार्य में शिक्षकों को लगाए जाने के लिए अलग से दिशा निर्देश जारी किए है। इसमें कहा गया है कि विधानमंडल,संसद या स्थानीय निकायों के निर्वाचन में मतदान, मतगणना एवं प्रशिक्षण तथा सामग्री प्राप्त करने के काम में शिक्षकों को लगाया जा सकेगा लेकिन मतदाता सूची के पुनरीक्षण से जुड़े हुए कार्य अवकाश के दिन और गैर शैक्षिक दिन एवं समय में ही सौपे जा सकेंगे।
इन निर्देशों के बाद भी कुछ जिले शिक्षकों को बीएलओ के काम पर लगा रहे है। इससे शाला स्तर की गतिविधियां प्रभावित हो रही है और शिक्षकों के लिए आयोजित शैक्षणिक कार्यक्रम भी प्रभारित हो रहे है। इसका सीधा असर शिक्षा की गुणवत्ता पर पड़ रहा है। इसलिए सभी कलेक्टर यथासंभव बीएलओ के रुप में कार्यरत शिक्षक को इस काम से मुक्त करे। यदि अपरिहार्य कारणों से शिक्षकों को बीएलओ का दायित्व सौपना जरुरी हो तो यह तय किया जाए कि यह काम उस गांव बसाहट से ही संबंधित हो जिस स्कूल में शिक्षक पदस्थ है। यह कार्य अवकाश के दिन और गैर शैक्षिक दिवस तथा समय में ही कराया जाए। इसका पालन करने के लिए सभी कलेक्टरों को कहा गया है।