स्कूल ने गोडसे को संघ के गणवेश में दिखाया, विवाद के बाद मांगी माफी

 
जबलपुर

वर्तमान समय में एक ओर जहां बीजेपी के कुछ नेता यह सिद्ध करने में लगे हैं कि महात्मा गांधी का हत्यारा नाथूराम गोडसे देशभक्त था, वहीं मध्यप्रदेश के जबलपुर स्थित एक निजी विद्यालय ने संघ के गणवेश में गोडसे को दिखाने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से बिना शर्त माफी मांग ली है।

 मध्यप्रदेश के जबलपुर स्थित स्मॉल वंडर्स सीनियर सेकंडरी स्कूल के विद्यार्थियों ने गांधी जयंती के उपलक्ष्य में एक मूक नाटक का मंचन किया था। इसमें महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे की पोशाक को आरएसएस के गणवेश जैसा दिखाया गया था। इस पर आरएसएस ने कड़ी आपत्ति जताई थी। स्कूल माफी इसलिए मांगनी पड़ी। नाटक में एक लड़के को संघ का गणवेश पहनकर महात्मा गांधी के वेश में खड़े दूसरे लड़के पर बंदूक चलाते दिखाया गया था। खुद को आरएसएस कार्यकर्ता बताने वाले यतींद्र उपाध्याय ने एक शिकायत के साथ लॉर्डगंज पुलिस स्टेशन का दरवाजा खटखटाया और कहा कि नाटक के माध्यम से आरएसएस को बदनाम किया गया।

बीजेपी सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर और साक्षी महाराज के बयानों से किनारा करते हुए शिकायतकर्ता ने कहा कि गोडसे ना ही कभी संघ के साथ जुड़ा था और ना ही उसका संघ से कोई लेनादेना है। शहर के पुलिस अधीक्षक दीपक मिश्रा ने कहा कि आईपीसी की धारा 500 (मानहानि) के तहत असंज्ञेय रिपोर्ट पुलिस को दी गई थी। उन्होंने कहा कि ऐसी शिकायत के लिए पुलिस को जांच करने की जरूरत नहीं है और शिकायतकर्ता को अदालत का दरवाजा खटखटाना होगा।

हालांकि, स्कूल प्रबंधन ने फेसबुक पर शुक्रवार को इस बाबत माफी मांग ली। पोस्ट में प्रबंधन ने लिखा, 'छोटी कक्षाओं के बच्चों द्वारा इस मूक नाटक का मंचन किया गया था। गोडसे को आरएसएस के गणवेश में दिखाना एक गलती थी। यह अनजाने में हुआ, इसके पीछे कोई राजनीतिक विचारधारा नहीं थी। गोडसे का आरएसएस से कुछ लेनादेना नहीं है। इसके लिए हम माफी मांगते हैं।'
 

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