उलटा पड़ा सिंधिया का दांव, आक्रामक हुई बसपा, बिना प्रत्याशी लड़ेगी चुनाव

अशोकनगर
गुना लोकसभा सीट से बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी लोकेंद्र सिंह धाकड़ के द्वारा कांग्रेस का दामन थामने के बाद बसपा ने नई रणनीति के तहत इस सीट से बिना प्रत्याशी के ही चुनाव लड़ने  की घोषणा कर दी है। बसपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रामसिंह गौतम ने अशोकनगर में तीनों जिलों के कार्यकर्ताओं के साथ बैठक के बाद पत्रकारो से चर्चा करते हुये कहा कि पार्टी अब और ज्यादा ताकत से चुनाव लड़ेगी।

सोमवार को शिवपुरी में कांग्रेस उम्मीदवार ज्योतिरादित्य सिंधिया के सामने बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार लोकेंद्र सिंह राजपूत ने कांग्रेस की सदस्यता लेते हुये अपना समर्थन सिंधिया को दे दिया था। अपनी जीत को निश्चित करने के लिये शायद सिंधिया ने बसपा उम्मीदवार को अपने पाले में मिलाया था। उनको उम्मीद थी कि लोकेंद्र के मैदान से हटने के बाद बसपा का वोट बैंक उनके पास आ जायेगा। लेकिन कांग्रेस की यह जोड़तोड़  बसपा को अखर गई है। बसपा सुप्रीमो मायावती की म प्र  सरकार को समर्थन वापसी की धमकी के बाद बसपा के कार्यकर्ता और आक्रमक हो गये है। अशोकनगर में बसपा की बैठक के बाद पार्टी के कार्यकर्ताओ ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ जमकर नारेबाजी की है। अशोकनगर ,गुना एवं शिवपुरी के बसपा कार्यकर्ताओ ने बैठक में तय किया है पार्टी अब भी चुनाव लड़ेगी। पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ने घोषणा की है गुना सीट पर बसपा अब अपने चुनाव चिन्ह हाथी का प्रचार करते हुये वोट मांगेगी।

आधिकारिक रूप से रहेंगे प्रत्याशी लोकेंद्र

लोकेंद्र सिंह ने भले ही कांग्रेस ज्वाइन कर ली हो एवं खुद का प्रचार बन्द कर दिया हो मगर आधिकारिक रूप से चुनाव प्रक्रिया में अभी भी बसपा के उम्मीदवार लोकेंद्र ही है। बैलेट मशीन में चुनाव के समय भी उनका नाम एवं पार्टी का चिन्ह रहेगा। अब अपनी पार्टी की किरकिरी से तिलमिलाई बसपा सिंधिया के खिलाफ नई रणनीति बना चुकी है। पूरे गुना लोकसभा क्षेत्र में बसपा का वोट बैंक सबसे ज्यादा संख्या में है। लगभग ढाई लाख से ज्यादा वोटबैंक जिनका वोटिंग प्रतिशत भी अन्य लोगो से ज्यादा होता है। उसी अंक गणित को साधने के लिये कांग्रेस  की यह जोड़तोड़ मानी जा रही है। लेकिन इस घटनाक्रम ने बसपा को एकजुट कर दिया है। सिंधिया का दांव उलटा पड़ता दिखाई दे रहा है| क्यूंकि बसपा अब सिंधिया के खिलाफ मैदान में उतरकर कांग्रेस के वोट काटेगी| इस तीखी जंग से कांग्रेस को नुक्सान हो सकता है| अब देखना होगा बसपा के परम्परागत वोट बैंक को साधने के लिये कांग्रेस की यह उठापटक कितनी कारगर साबित हो पाती है और बसपा को यहां क्या लाभ मिलता है।

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