स्कूली शिक्षा व्यवस्था में दिखने लगा है बदलाव

 भोपाल

स्कूली शिक्षा ही बच्चों के भविष्य का मार्ग प्रशस्त करती है। इसलिये जरूरी है कि शिक्षा गुणवत्तापूर्ण हो, स्कूलों में शिक्षा का उत्तम वातावरण हो और शिक्षक ज्ञान से समृद्ध हो ताकि बच्चे स्कूल आने और पढ़ाई करने के लिये लालायित रहें। राज्य सरकार ने प्रदेश में गुणवत्तापूर्ण स्कूली शिक्षा व्यवस्था कायम करने के लिये पिछले एक साल में कई ऐतिहासिक निर्णय लेकर उन्हें जमीन पर उतारा है। अब बच्चे स्कूल पहुँचने लगे हैं, शिक्षक भी बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के लिये समर्पित हुए हैं। बदलाव नजर आने लगा है।

एक्सपोजर विजिट

स्कूली शिक्षा गुणवत्ता में सुधार के लिये 'लर्न फॉर द बेस्ट' योजना लागू की गई है। योजना में विभागीय अधिकारियों, प्राचार्यों और शिक्षकों को स्थानीय निजी स्कूलों, दिल्ली के स्कूलों, नोएडा के महामाया स्कूल और दक्षिण कोरिया के कोरिया डेव्हलपमेंट इंस्टीट्यूट का भ्रमण कराया गया। इससे प्राचार्यों और शिक्षकों की सोच और पढ़ाने की शैली में बदलाव आया है। वे बच्चों की शिक्षा के प्रति अपनी जिम्मेदारी महसूस करने लगे हैं और नियमित स्कूल आने लगे हैं।

बच्चों की कॉपियों की प्रतिदिन चैकिंग

स्कूलों में मूलभूत विषयों की कॉपियों की प्रतिदिन चैकिंग व्यवस्था लागू की गई है। जिला और राज्य स्तर के अधिकारी स्कूलों का दौरा कर यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि शिक्षक अपने विद्यार्थियों की कॉपियाँ प्रतिदिन सही तरीके से जाँचें और गलतियों में सुधार करायें। प्रदेश के 2742 विद्यालयों में विशेष कॉपी चेकिंग अभियान चलाया गया है। कॉपी चेक नहीं करने तथा करेक्शन अंकित नहीं करने वाले शिक्षकों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की जा रही है। हाल ही में 139 शिक्षकों की वेतन वृद्धि रोकी गई, 425 शिक्षकों का वेतन काटा गया, 665 शिक्षकों को चेतावनी दी गई और 751 शिक्षकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया।

परीक्षा परिणामों का विश्लेषण

स्कूलों में परीक्षा परिणामों का विश्लेषण करने की व्यवस्था की गई है। तीस प्रतिशत से कम परीक्षा परिणाम वाले स्कूलों के शिक्षकों की दक्षता के आकलन के लिये 12 एवं 15 जून, 2019 को आयोजित परीक्षा में 6215 शिक्षकों ने परीक्षा दी। शिक्षकों को दक्षता सुधार का प्रशिक्षण भी दिया गया। इसके बाद दोबारा परीक्षा ली गई। इस परीक्षा में जिन शिक्षकों के परिणाम संतोषजनक नहीं थे, उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की गई। दो माह के प्रशिक्षण के बाद भी ओपन बुक एक्जाम में फेल होने वाले 16 शिक्षकों के विरुद्ध सख्त कार्यवाही करते हुए अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी गई।

पालक-शिक्षक संवाद

स्कूलों में बच्चों के अभिभावकों के साथ नियमित पालक-शिक्षक बैठक की व्यवस्था लागू की गई है। अब सभी शासकीय स्कूलों में प्रत्येक तीन माह में एक साथ पालक-शिक्षक बैठक की जा रही हैं। इन बैठकों में छात्र प्रोफाइलिंग, दक्षता उन्नयन वर्क-बुक, प्रतिभा पर्व परिणाम, ब्रिज कोर्स और अर्द्धवार्षिक परीक्षा, शाला में उपस्थिति आदि मुद्दों पर चर्चा की जा रही है। पहली बार हुई इन बैठकों में लगभग 40 लाख अभिभावकों ने भाग लिया। बाल दिवस पर शिक्षा मंत्री ने सभी अभिभावकों को पत्र भेजकर उनसे छात्र-छात्राओं की गुणवत्ता एवं दक्षता में सुधार में सहयोग करने की अपील की।

कक्षा पाँचवीं और आठवीं के लिये बोर्ड पैटर्न पर वार्षिक परीक्षा

वर्तमान अकादमिक सत्र 2019-20 से नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009 में किये गये संशोधन के अनुक्रम में पाँचवीं और आठवीं कक्षा के बच्चों का वार्षिक मूल्यांकन बोर्ड पैटर्न पर किये जाने का निर्णय लिया गया है। पाँचवीं और आठवीं कक्षा की वार्षिक परीक्षाओं में पास होने के लिये विद्यार्थियों को न्यूनतम 33 प्रतिशत अंक प्राप्त करने होंगे। ऐसा न करने पर उन्हें 2 माह बाद पुन: परीक्षा में बैठना होगा। यदि वे फिर भी पास नहीं हो पाते हैं, तो उन्हें पाँचवीं और आठवीं कक्षा से अगली कक्षा में उन्नत नहीं किया जायेगा।

शिक्षकों के लिये 'वॉल ऑफ फेम'' सम्मान योजना

शिक्षासत्र 2018-19 से प्रदेश में शिक्षकों को प्रोत्साहित करने के लिये 'वॉल ऑफ फेम' सम्मान योजना शुरू की गई है। योजना में शिक्षकों और शाला द्वारा कक्षा 3 से 8 तक के विद्यार्थियों में बुनियादी दक्षता के उन्नयन में उत्कृष्ट भूमिका निभाने के प्रयासों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। योजना में कांस्य, रजत एवं स्वर्ण चेम्पियन प्रमाण-पत्र दिये जाएंगे। इस वर्ष प्रदेश में 851 शिक्षकों को स्वर्ण चेम्पियन, 2187 शिक्षकों को रजत चेम्पियन और 4566 शिक्षकों को कांस्य चेम्पियन प्रमाण-पत्र और 7600 विद्यालयों को अवार्ड प्रदान किये गये हैं।

ऑनलाइन ट्रांसफर व्यवस्था

'ऑनलाइन ट्रान्सफर' व्यवस्था लागू की गई है। शिक्षकों को उनकी पसंद के स्थान पर पद-स्थापना में प्राथमिकता दी गई है। पिछले कई सालों से अध्यापकों की शिक्षा विभाग में संविलियन की माँग को पूरा किया गया। अब अध्यापक शिक्षा विभाग में शासकीय सेवकों को दिये जाने वाले वेतन-भत्ते एवं अन्य सुविधाओं का लाभ प्राप्त कर रहे हैं।

विज्ञान-मित्र क्लब और ईको क्लब का गठन

प्रदेश के सभी शासकीय माध्यमिक विद्यालयों में विज्ञान मित्र क्लब और सभी प्राथमिक विद्यालयों एवं सभी माध्यमिक विद्यालयों में यूथ एवं ईको क्लब का गठन किया गया है। इन क्लब के माध्यम से स्कूली विद्यार्थियों में वैज्ञानिक अभिरुचि तथा स्वास्थ्य एवं पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता लाने के प्रयास किये जा रहे हैं। विद्यार्थियों को सांस्कृतिक, बौद्धिक, खेलकूद, कला एवं हस्तशिल्प आदि क्षेत्रों में अपने कौशल और रुचि को विकसित करने का अवसर देने की व्यवस्था भी सुनिश्चित की गई। साथ ही उन्हें स्कूल के समय के बाद सार्थक और उत्पादक गतिविधियों की ओर मोड़ा जा रहा है।

शैक्षिक संवाद

पीयर (PEER) लर्निंग योजना में शासकीय स्कूलों में संकुल स्तर पर प्रतिमाह अंतिम सप्ताह में एक दिन शैक्षिक संवाद किया जा रहा है। इसमें सभी शिक्षक अपने विषय एवं कक्षाओं की उपलब्धियों और समस्याओं पर विचार-विमर्श कर समाधान खोजते हैं और उसे अमल में लाते हैं।

एनसीईआरटी पाठ्यक्रम

प्रदेश के विद्यार्थियों को राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगी परीक्षाओं में बेहतर प्रदर्शन के योग्य बनाने के लिये एनसीईआरटी पाठ्यक्रम एवं पाठ्य-पुस्तकों का अभिग्रहण किया गया है। इस शिक्षा सत्र में कक्षा छठवीं से दसवीं तक सामाजिक विज्ञान और कक्षा ग्यारहवीं में कला संकाय के एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम लागू हो गया है। वर्ष 2021-22 तक क्रमिक चरणों में प्रदेश के सभी शासकीय विद्यालयों में नवमीं से बारहवीं तक सभी विषयों में यह पाठ्यक्रम लागू कर दिया जायेगा।

जीवन कौशल शिक्षा कार्यक्रम 'उमंग'

विद्यार्थियों की निर्णय क्षमता, विश्लेषण कौशल, समस्याओं का समाधान खोजने तथा परिस्थितियों के साथ तालमेल बनाने का जीवन कौशल विकसित करने के प्रयास किये जा रहे हैं। इसके लिये 'उमंग'' कार्यक्रम लागू किया गया है। कार्यक्रम में इस वर्ष प्रदेश के सभी हाई स्कूलों एवं हायर सेकेण्डरी स्कूलों को स्केल-अप किया गया है।

स्टीम कॉन्क्लेव

विद्यार्थियों में 21वीं सदी के अनुरूप क्रिएटिविटी, क्रिटिकल एनालॉसिस, कोलेबोरेटिव लर्निंग, कम्युनिकेशन स्किल आदि विकसित करने के लिये स्कूलों में स्टीम आधारित शिक्षा पद्धति लागू करने के प्रयास किये जा रहे हैं। विगत 30-31 अक्टूबर को स्टीम कॉन्क्लेव किया गया। इसमें राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर के विषय-विशेषज्ञों, एनआईडी, क्रिस्प, आईआईएसआईआर, साइंस सेंटर, सीबीएससी/आईसीएससी शालाओं के प्रतिनिधियों तथा स्कूल शिक्षा विभाग और शिक्षा से जुड़े अन्य विभागों द्वारा स्टीम एजुकेशन की दिशा में किये जा रहे प्रयोगों और नवाचारों के बारे में मंथन किया गया। इस प्रणाली से फ्यूचर जॉब्स तथा राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय असेसमेंट टेस्ट (NAS और PISA) के लिये विद्यार्थी तैयार हो सकेंगे और शिक्षा की गुणवत्ता सुनिश्चित होगी। साथ ही, आर्थिक और शैक्षिक दृष्टि से विकसित देशों की तरह हमारे विद्यार्थी भी साइंस, टेक्नालॉजी, इंजीनियरिंग एवं मेथमेटिक्स को आर्टस के साथ इंटीग्रेट करते हुए आगे बढ़ सकेंगे।

एप आधारित पर्यवेक्षण एवं रियल टाइम मूल्यांकन

स्कूली शिक्षा के क्षेत्र में डाटा और साक्ष्य आधारित नीति निर्धारण की व्यवस्था लागू की गई है। अब एप से क्लासेस की मॉनीटरिंग कर कार्य सुनिश्चित किया जा रहा है। साथ ही 'कक्षा साथी' एप के माध्यम से बच्चों का रियल टाइम मूल्यांकन कराया जा रहा है। शुरूआती तौर पर इसे भोपाल और रायसेन जिले के 13 स्कूलों में पॉयलेट प्रोजेक्ट के रूप में लागू किया गया है।

स्कूलों मेंशिक्षकों के रिक्त पदों पर भर्ती के लिये उच्च माध्यमिक शिक्षक एवं माध्यमिक शिक्षक वर्ग की पात्रता परीक्षा हो गई है। अब लगभग 20 हजार शिक्षकों की नियुक्ति शीघ्र की जायेगी। शालाओं का सशक्तिकरण कर उन्हें उच्च गुणवत्तायुक्त संस्थानों में विकसित किया जायेगा। एलीमेंट्री एजुकेशन पर फोकस किया जायेगा। छिंदवाड़ा, भोपाल, सागर, शहडोल एवं सीहोर जिले के 15 स्कूलों में प्री-प्रायमरी शिक्षा के लिये पॉयलेट प्रोजेक्ट शुरू किया गया है। भविष्य में इसे बड़े स्वरूप में लागू किया जायेगा।

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