सोनिया की वापसी से कमलनाथ को मिली ‘ताकत’, जल्द हो सकता है कैबिनेट विस्तार
भोपाल
कांग्रेस की अंतिर अध्यक्ष सोनिया गांधी को बनाया गया है। उनके अध्यक्ष बनने के बाद एक बार फिर गांधी परिवार के पुराने सिपहसलारों की मुख्य राजनीति में वापसी हो गई है। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को राज्य सभा भेजने के फैसले ने इन अटकलों पर मुहर लगादी है। पार्टी अपने पुराने साथियों पर ज्यादा भरोसा कर रही है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री भी सोनिया के अध्यक्ष बनने से काफी खुश बताए जा रहे हैं। वह इंदिरा गांधी के दूसरे बेटे के तौर पर जाने जाते हैं। उनका गांधी परिवार के साथ दशकों पुराना रिश्ता है।
राहुल गांधी के अध्यक्ष रहते हुए युवा चेहरों को ज्यादा तवज्जो मिल रही थी। राहुल पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ साथ युवा चेहरों के ज्यादा करीब थे। यह बात कई दफा पुराने नेताओं को खलती थी। मध्य प्रदेश चुनाव के समय भी सिंधिया का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए चला फिर प्रदेश अध्यक्ष के लिए भी उनके नाम की अटकलें रही लेकिन पुराने खिलाड़ियों ने सिंधिया की प्रदेश में एंट्री पर ब्रेक लगा दिया। कमलनाथ के साथ साथ दिग्विजय सिंह का नाम भी पारफुर नेताओं में गिना जा रहा है। राहुल के समय वह भी पार्टी में लगभग साइडलाइन हो गए थे।
लोकसभा हार के बाद से मुख्यमंत्री कमलनाथ कैबिनेट विस्तार करने का फैसला नहीं ले पा रहे हैं। जब राहुल गांधी अध्यक्ष बने थे तब पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के बजाए युवा चेहरों को ज्यादा तवज्जो मिल रही थी। लेकिन अब उनके इस्तीफा देने से पार्टी के पुराने नेताओं को संजीवनी मिलने जैसा एहसास हो रहा है। विधानसभा चुनाव के समय कमलनाथ ने अपने पुराने साथियों का साथ पा कर मुख्यमंत्री का पद हासिल करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उस समय सिंधिया केंद्र में अकेले पड़ गए। उनके समर्थन में कोई बड़ा चेहरा नहीं था। हालांकि, कमलनाथ को अप्रत्यक्ष तौर पर सिंधिया से लगातार चुनौतिया मिलती रही हैं। उनके खेमे के मंत्री मुख्यमंत्री को आंखे दिखाते रहे हैं। प्रद्युमन तोमर और सीएम के बीच गहमागमी हो चुकी है। अब सोनिया के कमान संभालने के साथ ही कमलनाथ काफी राहत महसूस कर रहे हैं। राजनीति के पंडितों का कहना है कि लोकसभा चुनाव में मिली हार और राहुल गांधी के अध्यक्ष रहते हुए कमलनाथ कैबिनेट का विस्तार नहीं कर पा रहे थे। इसके अलावा राहुल ने कमलनाथ के बेटे को जीतने को लेकर भी बयान दिया था। जिसके बाद से यह कहा जा रहा था कि राहुल कमलनाथ से खफा चल रहे है। लेकिन अब सोनिया के कमान संभालने के बाद से कमलनाथ और दिग्विजय सिंह को प्रदेश में ज्यादा तवज्जो मिलने की उम्मीद है।