सैटेलाइट तस्वीरों से बेनकाब हुआ पाकिस्तान, कहुटा में पकड़ा गया न्यूक्लियर प्लांट

इस्लामाबाद

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान की सितंबर के मध्य में एक इंटरनेशनल मीडिया को दिए इंटरव्यू के इस अंश पर गौर करिए- “जब न्यूक्लियर हथियारों से लैस कोई देश अंत तक लड़ता है, मौत तक लड़ता है, तो इसके परिणाम होते हैं.”

अब उनके 30 अगस्त को न्यूयॉर्क टाइम्स में लिखे  ‘ओपिनियन’ के इन शब्दों को देखिए- “अगर दुनिया कश्मीर और इसके लोगों पर भारत के हमले को रोकने के लिए कुछ नहीं करेगी, तो उसके पूरी दुनिया के लिए नतीजे होंगे क्योंकि न्यूक्लियर हथियारों से लैस दो देश सीधे सैन्य टकराव के करीब होंगे.”

ओपन सोर्स इंवेस्टीगेशन (OSINT) ने अपनी जांच में जो पाया है वो अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए हैरान करने वाला खुलासा हो सकता है. इस जांच से सामने आया है कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के बयान खोखले जुबानी खर्च नहीं हैं. उनकी मानवता को बर्दाश्त ना की जा सकने वाली धमकी असल भी हो सकती है.

याद कीजिए, इस्लामाबाद न्यूक्लियर सामग्री और दक्षता के प्रसार के लिए दुनिया भर में कुख्यात रहा है. 2004 में पाकिस्तान अभूतपूर्व न्यूक्लियर स्कैंडल के केंद्र के तौर पर उभरा. पाकिस्तान के एटम बम के पिता माने जाने वाले अब्दुल कादिर खान की तब दुनिया की कुछ बेलगाम हुकूमतों को न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी चोरी छुपे पहुंचाने वाले स्मगलर के तौर पर पहचान बनी.

आइए अब सितबर 2019 पर आते हैं: ओपन सोर्स इंवेस्टीगेशन ने पाया कि रावलपिंडी ज़िले के कहुटा में स्थित न्यूक्लियर प्रोजेक्ट में पाकिस्तान चोरी छुपे यूरेनियम संवर्धन कार्यक्रम चला रहा है.

OSINT के निष्कर्षों से पता चला कि किलाबंद इस लोकेशन को गोपनीयता के पर्दे से ढकने की पूरी कोशिश की गई है. इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एसोसिएशन (IAEA) इस लैब को ‘न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी का अवैध स्रोत’ करार दिया है.  साथ ही इसे ‘न्यूक्लियर अप्रसार के लिए गंभीर खतरा’ भी बताया.

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