सेंट्रल हॉल में 75 मिनट चली ‘मास्टर मोदी’ की क्लास, सांसदों को दिए 10 गुरु मंत्र

 
नई दिल्ली     

प्रधानमंत्री के रूप में दूसरे कार्यकाल की शुरुआत करने जा रहे नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि उनकी सरकार अब नई ऊर्जा के साथ, नए भारत के निर्माण के लिए नई यात्रा शुरू करेगी. मोदी ने एनडीए के नवनिर्वाचित सांसदों से बिना भेदभाव के काम करने को भी कहा. बीजेपी नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का नेता चुने जाने के बाद अपने करीब 75 मिनट के भाषण में मोदी ने अल्पसंख्यकों का भी विश्वास जीतने की जरूरत बताते हुए कहा कि वोट-बैंक की राजनीति में भरोसा रखने वालों ने अल्पसंख्यकों को डर में जीने पर मजबूर किया, हमें इस छल को समाप्त कर सबको साथ लेकर चलना होगा. जानें पीएम मोदी के भाषण की 10 बड़ी बातें…

1. पीएम मोदी ने बीजेपी के नवनिर्वाचित सांसदों को तमाम मुद्दों पर सीख दी. नए चुनकर आए सासंदों से उन्होंने कहा कि हमारा मोह हमें संकट में डालता है. इसलिए हमारे नए और पुराना साथी इन चीजों से बचें क्योंकि अब देश माफ नहीं करेगा. हमारी बहुत बड़ी जिम्मेदारियां हैं. हमें इन्हें निभाना है. वाणी से, बर्ताव से, आचार से, विचार से हमें अपने आपको बदलना होगा. वीआईपी कल्चर से देश को बड़ी नफरत है. हम भी नागरिक हैं तो कतार में क्यों खड़े नहीं रह सकते. मैं चाहता हूं कि हमें जनता को ध्यान में रखकर खुद को बदलना चाहिए. लाल बत्ती हटाने से कोई आर्थिक फायदा नहीं हुए, जनता के बीच अच्छा मैसेज गया है. उन्होंने कहा कि सांसदों को जरूरत पड़ने पर अन्य नागरिकों की तरह कतारों में भी खड़ा होना चाहिए.

2. मोदी ने मंत्री बनाए जाने को लेकर होने वाले कानाफुसी पर कहा, 'इस देश में बहुत ऐसे नरेंद्र मोदी पैदा हो गए हैं, जिन्होंने मंत्रिमंडल बना दिया है. जो भी जीतकर आए हैं, सब मेरे हैं. सरकार और कोई बनाने वाला नहीं है, जिसकी जिम्मेवारी है वही बनाने वाले हैं. अखबार के पन्नों से न मंत्री बनते हैं, न मंत्रिपद जाते हैं.' उन्होंने कहा कि मंत्री पदों के लिए मीडिया की खबरों में चल रहे नामों पर भरोसा नहीं करें, नियमों के अनुसार जिम्मेदारी दी जाएगी.

3. मीडिया से दूर रहने की सलाह देते हुए कि पीएम मोदी ने कहा कि छपास और दिखास से बचना चाहिए. इससे अगर बचकर चलते हैं तो बहुत कुछ बचा सकते हैं. हमारा मोह हमें संकट में डालता है. इसलिए हमारे नए और पुराना साथी इन चीजों से बचें क्योंकि अब देश माफ नहीं करेगा. हमारी बहुत बड़ी जिम्मेदारियां है. हमें इन्हें निभाना है. वाणी से, बर्ताव से, आचार से, विचार से हमें अपने आपको बदलना होगा.

4. मोदी ने कहा, 'जनता ने हमें इतना बड़ा आदेश दिया है. स्वाभाविक है कि सीना चौड़ा हो जाता है, माथा ऊंचा हो जाता है. जनप्रतिनिधि के लिए ये दायित्व होता है, उसके लिए कोई भेद रेखा नहीं हो सकती है. जो हमारे साथ थे, हम उनके लिए भी हैं और जो भविष्य में हमारे साथ चलने वाले हैं, हम उनके लिए भी हैं. हमारा नारा (NARA) राष्ट्रीय आकांक्षा और क्षेत्रीय महत्वाकांक्षा है.

5. पीएम ने कहा, एनडीए के पास दो जरूरी चीजें हैं, पहला एनर्जी और दूसरा सिनर्जी. ये एनर्जी और सिनर्जी एक ऐसा केमिकल है, जिसको लेकर हम सशक्त और सामर्थ्यवान हुए हैं, जिसको लेकर हमें आगे चलना है. उन्होंने कहा कि भारत में तो चुनाव अपने-आप में एक उत्सव था. मतदान भी अनेक रंगों से भरा हुआ था, लेकिन विजयोत्सव उससे भी शानदार था.

6. प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रचंड जनादेश जिम्मेदारियों को भी बहुत बढ़ा देता है. जिम्मेदारियों को हम सहर्ष स्वीकार करने के लिए निकले हुए लोग हैं. उसके लिए नई ऊर्जा, नई उमंग के साथ हमें आगे बढ़ना है. भारत का लोकतंत्र, भारत का मतदाता, भारत का नागरिक उसका जो नीर-क्षीर विवेक है, शायद किसी मापदंड से उसे मापा नहीं जा सकता है.

7. मोदी ने कहा कि प्रचंड जनादेश जिम्मेदारियों को भी बहुत बढ़ा देता है. जिम्मेदारियों को हम सहर्ष स्वीकार करने के लिए निकले हुए लोग हैं. उसके लिए नई ऊर्जा, नई उमंग के साथ हमें आगे बढ़ना है. भारत का लोकतंत्र, भारत का मतदाता, भारत का नागरिक उसका जो नीर-क्षीर विवेक है, शायद किसी मापदंड से उसे मापा नहीं जा सकता है. उन्होंने कहा कि सत्ता का रुतबा भारत के मतदाता को कभी प्रभावित नहीं करता है. सत्ता-भाव न भारत का मतदाता स्वीकार करता है, न पचा पाता है. इस देश की विशेषता है कि बड़े से बड़े सत्ता सामर्थ्य के सामने भी सेवाभाव को वो सिर झुकाकर के स्वीकार करता है. हम चाहे भाजपा या एनडीए के प्रतिनिधि बनकर आए हों, जनता ने हमें स्वीकार किया है सेवाभाव के कारण.

8. उन्होंने कहा कि 2019 का चुनाव सामाजिक एकता का आंदोलन बन गया, समता भी, ममता भी, समभाव भी, ममभाव भी. इस वातावरण ने इस चुनाव को एक नई ऊंचाई दी. ये देश परिश्रम की पूजा करता है, ये देश ईमान को सिर पर बैठाता है. हिन्दुस्तान के मतदाता में जो नीर-क्षीर विवेक है, उसकी ताकत देखिए. परिश्रम की अगर पराकाष्ठा है और ईमानदारी पर रत्ती भर भी संशय न हो तो देश उसके साथ चलेगा.

9. पीएम मोदी ने कहा कि जनप्रतिनिधि कभी भेद नहीं सकता है. नए जनप्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि जनप्रितिनिधि के साथ हमारा कोई भी पराया नहीं हो सकता है. इसकी ताकत बहुत बड़ी होती है. दिलों को जीतने की कोशिश करेंगे. मेरे जीवन के कई पड़ाव रहे, इसलिए मैं इन चीजों को भली-भांति समझता हूं, मैंने इतने चुनाव देखे, हार-जीत सब देखे, लेकिन मैं कह सकता हूं कि मेरे जीवन में 2019 का चुनाव एक प्रकार की तीर्थयात्रा थी.

10. देश में गरीब एक राजनीतिक संवाद-विवाद का विषय रहा, एक फैशन का हिस्सा बन गया, भ्रमजाल में रहा. पांच साल के कार्यकाल में हम कह सकते हैं कि हमने गरीबों के साथ जो छल चल रहा था, उस छल में हमने छेद किया है और सीधे गरीब के पास पहुंचे हैं. देश पर इस गरीबी का जो टैग लगा है, उससे देश को मुक्त करना है. गरीबों के हक के लिए हमें जीना-जूझना है, अपना जीवन खपाना है. गरीबों के साथ जैसा छल हुआ, वैसा ही छल देश की माइनॉरिटी के साथ हुआ है. दुर्भाग्य से देश की माइनॉरिटी को उस छलावे में ऐसा भ्रमित और भयभीत रख गया है. उससे अच्छा होता कि माइनॉरिटी की शिक्षा, स्वास्थ्य की चिंता की जाती. 2019 में आपसे अपेक्षा करने आया हूं कि हमें इस छल को भी छेदना है. हमें विश्वास जीतना है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *