सूर्यग्रहण आज, ऐसा रहेगा देश-दुनिया और आप पर प्रभाव

सूर्य और चंद्रग्रहण के समय गोचर में बन रही ग्रहों की स्थिति का मेदिनी ज्योतिष में मौसम, कीमतों में तेजी-मंदी, राजनीतिक उठा-पटक और सामाजिक बदलावों के बारे में भविष्यवाणी के लिए भारत में सदियों से प्रयोग होता रहा है। चूंकि ग्रहण केवल अमावस्या और पूर्णिमा को ही संभव है इसलिए ग्रहण के समय बनने वाली पक्ष कुंडली में सूर्य और चन्द्रमा की स्थिति का विशेष रूप से अध्ययन किया जाता है। ग्रहण पृथ्वी के जिस भूभाग पर देखे जाते हैं वहां उनका प्रभाव अधिक होता है और अन्य स्थानों पर कुछ कम असर देखा जाता है। जिन स्थानों पर ग्रहण दृश्य हो वहां तीन माह तक तथा अन्य स्थानों पर गोचर के प्रभाव से 15 दिनों तक फल मिलते हैं।

5/6 जनवरी को पूर्व दिशा में सूर्य उदय के समय जापान, चीन, कोरिया और रूस के पूर्वी भागों में सूर्य उदय के समय से सूर्य ग्रहण लगेगा। भारत में यह ग्रहण दिखाई नहीं देगा तो इस कारण से इसका धार्मिक महत्त्व नहीं होगा किन्तु गोचर के प्रभाव से तुरंत ही मौसम में बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे।

सूर्य ग्रहण के दो दिन के भीतर ही चीन, रूस, जापान और कोरिया में रिकॉर्ड तोड़ बर्फबारी होगी जिसका प्रभाव तिब्बत से होते हुए भारत के पूर्वी भागों में भी कुछ दिन के भीतर दिखेगा। ग्रहण के समय सूर्य और चन्द्रमा धनु राशि में शुक्र के नक्षत्र पूर्वाषाढ़ा में हैं। शनि और बुध की युति भी हो रही है जो कुछ ठंडे ग्रह माने जाते हैं। इस योग के प्रभाव से पूर्वी एशिया में कड़ाके की सर्दी पड़ेगी। ग्रहण के समय सूर्य और चन्द्रमा से चतुर्थ भाव में मंगल जल तत्व की राशि मीन में स्थित होकर भू-कंपन के बाद तूफान के भी योग बना रहे हैं। इंडोनेशिया और जापान में अगले 15 दिन के भीतर भूकंप के झटकों के बाद सुनामी से हलकी क्षति भी हो सकती है। वृश्चिक राशि में चल रहे गुरु और शुक्र तथा कर्क में गोचर कर रहे राहु भी जलतत्व राशियों में होने के कारण बर्फबारी और वर्षा से शीत-लहर का प्रकोप बढ़ने का योग बना रहे हैं। उत्तर भारत में तथा पूर्व में बिहार और झारखण्ड में ग्रहण के बाद वर्षा से ठंड का कहर और बढ़ेगा।

भारतीय समय के अनुसार 6 जनवरी सुबह 06 बजकर 58 मिनट पर बन रही ग्रहण की कुंडली में छाया ग्रहों राहु और केतु को छोड़कर सभी ग्रह तीन राशियों में स्थित हैं जिससे ‘शूल’ नाम का नभस योग बन रहा है। इस योग के प्रभाव से भारत में तथा एशिया के अन्य देशों में राजनेताओं में परस्पर विरोध बढ़ेगा। धनु राशि में ग्रहण पड़ने से दक्षिणी चीन सागर में चीन और अन्य देशों में तनाव तेजी से बढ़ने लगेगा।

धनु को युद्ध और अस्त्र-शास्त्रों की राशि माना जाता है। धनु राशि में पड़ रहे ग्रहण के प्रभाव से एशिया के देशों में हथियारों की होड़ तेजी से बढ़ेगी जिससे चीन और पाकिस्तान के साथ भारत के रिश्तों में तनाव बढ़ेगा जो साल के अंत तक चरम पर पहुंचने लगेगा। भारत के घरेलू राजनीति में धनु राशि में पड़ रहे ग्रहण के प्रभाव से राफेल तथा ऑगुस्टा जैसे रक्षा-सौदों में हुए कथित घोटालों के कारण हो रही राजनीतिक उठा-पटक पूरे वर्ष चलती रहेगी। साल के अंत में दिसंबर में होने वाले एक बड़े सूर्य ग्रहण के साथ इन दोनों मामलों में कुछ बड़े नेताओं और अधिकारियों के जेल जाने की भी संभावना बनने लगेगी।

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