प्रेगनेंसी में शराब को कहें ना, शिशु के डीएनए पर पड़ता है असर

अगर आप मां बनने वाली हैं तो शराब का सेवन छोड़ दें क्‍योंकि इसका असर आपके बच्‍चे के डीएनए पर पड़ सकता है। गर्भवती महिलाओं को शराब से दूर रहने की सलाह दी जाती है। एक नए अध्‍ययन के अनुसार अत्‍यधिक शराब का असर शिशु के डीएनए पर पड़ सकता है।

एक प्रतिष्ठित प्रोफेसर और पशु विभाग में एंडोक्राइन प्रोग्राम के निदेशक प्रमुख लेखक दीपक के. सरकार कहते हैं कि “हमारे निष्कर्षों से जन्म से पहले शराब के जोखिम के लिए बच्चों का परीक्षण करना और शुरुआती निदान से बच्चों के जीवन को बेहतर बनाने में मदद मिल सकती है।”

इस अध्‍ययन के परिणाम जरनल एल्‍कोहोलिज्‍म: क्‍लीनिकल एंड एक्‍सपेरिमेंटल रिसर्च में प्रकाशित हो चुके हैं। इससे पहले रूटजर यूनिवर्सिटी की स्‍टडी में पाया गया था कि ज्‍यादा शराब पीने से वयस्‍कों में लंबे समय तक जेनेटिक बदलाव आ सकता है।

इस स्‍टडी में शोधकर्ताओं ने दो जींस में बदलाव पाया- पीओएमसी (जो कि स्‍ट्रेस रिस्‍पॉन्‍स सिस्‍टम को नियंत्रित करता है) और पीईआर2 (जो कि शरीर की बायोलॉजिकल क्‍लॉक को प्रभावित करता है)। जो महिलाएं प्रेगनेंसी के दौरान मध्‍य या अधिक मात्रा में शराब का सेवन करती हैं और जिनके बच्‍चे गर्भ में ही शराब की अत्‍यधिक मात्रा के संपर्क में आते हैं, उनमें ये दोनों जींस पाए गए।

महीने में पांच बार चार या इससे ज्‍यादा ड्रिंक करने को अत्‍यधिक शराब पीने की अवस्‍था में रखा गया है जबकि हर मौके पर तीन गिलास शराब पीना मध्‍य श्रेणी में शामिल है।

भ्रूण पर शराब के असर के कारण उसमें शारीरिक या बौद्धिक असमानता आ सकती है या उसके याद रखने की क्षमता और व्‍यवहार में भी बदलाव आ सकता है।

इस स्‍टडी में ये भी पाया गया है कि जिन बच्‍चों को गर्भनाल के जरिए शराब की मात्रा मिलती है उनमें कोर्टिसोल का स्‍तर ज्‍यादा रहता है। ये एक हानिकारक स्‍ट्रेस हार्मोन है जो कि इम्‍यून सिस्‍टम को अपना काम करने से रोकता है और स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याएं पैदा करता है।

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