सुशील मोदी ने दिया लालू यादव को जवाब  अब मुख्यमंत्री आवास में न नाच होता है, न अपराधी छिपते हैं

पटना
बिहार में सियासी बयानबाजी का दौर जारी है। सुबह में आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने नीतीश कुमार पर निशाना साधा था। लालू यादव ने पूछा था कि 89 दिन हो गए लेकिन नीतीश कुमार अपने आलीशान बंगले से बाहर नहीं आ रहे। शाम होते होते लालू प्रसाद यादव के सवाल का जवाब देते हुए सुशील कुमार मोदी ने कहा कि अब मुख्यमंत्री आवास में नाच नहीं होता है।

बिहार के डिप्टी सीएम और बीजेपी विधानमंडल दल के नेता सुशील कुमार मोदी ने कहा कि यह लालू प्रसाद के दिमागी दिवालियापन की हद है कि जब कोई डिजिटल माध्यम से काम करे, तो कहते हैं घर से क्यों नहीं निकलते। और जब जनता के बीच जाएं, तो कहते हैं कि सरकारी पैसे का दुरुपयोग कर रहे हैं। डिप्टी सीएम मोदी ने कहा कि आरजेडी के ऐसे ही गैरजिम्मेदार बयानों के चलते लोकसभा चुनाव में सूपड़ा साफ हो गया था।

CM हाउस में अब नहीं होता नाच
डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने लालू राबड़ी शासनकाल पर तंज कसते हुए कहा कि पिछले 15 साल से सीएम हाउस में नाच नहीं हो रहा है। 15 साल से सीएम हाउस में अपराधियों को शरण भी नहीं दी जा रही है। पिछले 15 साल से बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में चलने वाली एनडीए के सुशासन की सरकार ने विकास के कई नए आयाम लिखे हैं। मोदी ने कहा कि हमने काम के बल पर ही मतपेटियों से निकलने वाला भूत यानी लालू का जिन्न भगाया गया।

लालटेन युग की सोच से बाहर नहीं निकल पा रहे लालू
सुशील मोदी ने कहा कि कोरोना काल में "वर्क फ्राम होम" का मॉडल दुनिया अपना रही है। लेकिन जेल से पार्टी चलाने वाले लालू प्रसाद, लालटेन युग की अवैज्ञानिक सोच से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। लालू एक ऐसे मुख्यमंत्री पर सरकारी आवास से बाहर न निकलने का आरोप लगा रहे हैं, जो डिजिटल माध्यम से रोजाना 16 घंटे गरीबों-मजदूरों सहित सभी वर्गों की सेवा में लगा है। नीतीश कुमार ने काम के बल पर बिहार का मान बढ़ाया है। काम के बल पर ही एनडीए हर बार जनता का भरोसा जीत कर सत्ता में लौटता रहा है। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार पहले ऐसे मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने जनता से संवाद बनाने के लिए विकास यात्रा जैसी 12 यात्राएं की हैं।

 उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि संविधान के खंड-3 के अन्तर्गत धारा 15 (4) और (5) के तहत आरक्षण अनुसूचित जाति, जनजाति व पिछड़े वर्गों का मौलिक अधिकार है। बीजेपी के रहते हुए कोई ताकत इस अधिकार से इन वर्गों को वंचित नहीं कर सकती है। उन्होंने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने संविधान संशोधन कर प्रोन्नति में आरक्षण दिया तो नरेन्द्र मोदी की सरकार ने दलित अत्याचार निवारण अधिनियम में 23 नई धराएं जोड़ कर उसे और कठोर बनाया। जब सुप्रीम कोर्ट ने कुछ धाराओं को शिथिल किया तो कानून में संशोधन कर उसे फिर से स्थापित किया। बीजेपी जहां नौकरियों में दलितों के प्रोमोशन में आरक्षण का समर्थन करती है, वहीं दलित आरक्षण में क्रीमी लेयर का कभी पक्षधर नहीं रही है। बीजेपी का स्पष्ट मत है कि अनुसूचित जाति, जनजाति व पिछड़े वर्गों के आरक्षण में कोई छेड़छाड़ नहीं होना चाहिए।
 

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