जनगणना में कुत्ता, बिल्ली और सियार गिन रहे तो जाति गिनने में क्या दिक्कत?: RJD सुप्रीमो लालू यादव

 पटना 
नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी (NPR) को लेकर चल रहे राजनीतिक घमासान के बीच राष्ट्रीय जनता दल (RJD) सुप्रीमो लालू यादव ने जातिगत गणना कराने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि केंद्र सरकार जगनगणना में कुत्ता, बिल्ली, सियार और सुअर की गिनती कराती है तो पिछड़े और अतिपिछड़ों की गिनती कराने में क्या परेशानी है। इससे पहले शनिवार को प्रस्तावित एनपीआर को लेकर उन्होंने केंद्र सरकार पर हमला बोला था। लालू ने कहा था कि मुस्लिम तो सिर्फ बहाना है और दलित-पिछड़ा असली निशाना है।

रविवार को बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री ने ट्वीट कर लिखा, 'केंद्र सरकार जनगणना में कुत्ता-बिल्ली, हाथी-घोड़ा, सियार-सुअर सब की गिनती करती है तो पिछड़े और अतिपिछड़ों की गिनती करने में क्या परेशानी है? जनगणना में एक अलग जाति का कॉलम जोड़ने में क्या दिक्कत है? क्या जातिगत जनगणना करेंगे तो 10% की 90 प्रतिशत पर हुकूमत की पोल खुल जायेगी?'
 
लालू यादव और उनकी पार्टी लंबे समय से देश में जातिगत जनगणना की मांग करती रही है। केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित एनपीआर का मुद्दा सामने आने के बाद एक बार फिर से उन्होंने जातिगत जनगणना का राग छेड़ा है। लालू ने इस मुद्दे पर दो ट्वीट किया। दूसरे ट्वीट में लालू ने लिखा, 'आप मुस्लिम, सिख, ईसाई सभी गिनते हैं लेकिन असल पिछड़े-अतिपिछड़े हिंदुओं को गिनने में किस बात का डर है? आप पिछड़े हिंदुओं की जनगणना क्यों नहीं कराना चाहते? आपके पिछड़े हिंदुओं के बारे में इतने नापाक इरादे क्यों है? क्या आप पिछड़े हिंदुओं का हक खाकर उन्हें पिछड़ा ही रखना चाहते है।'

शनिवार को लालू प्रसाद यादव ने सवाल किया, 'सभी धर्मों के लोगों को भी गिना जाता है लेकिन पिछड़े-अतिपिछड़े को क्यों नहीं गिनते? पिछड़े-अतिपिछड़े संख्याबल में सबसे ज्यादा हैं। सरकार चलाने वाले को डर है कि अगर पिछड़ों की आबादी के सही आंकड़े आ गए तो लोग उसी आधार पर अपना हक मांगने लगेंगे। कथित एनपीआर और एनआरसी और 2021 की भारतीय जनगणना पर लाखों करोड़ खर्च होंगे।'

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