सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ नाथ ने बनायी कमेटी

भोपाल
देश के करीब 12 लाख आदिवासियों और वनवासियों को अपने घरों से बेदखल होना पड़ सकता है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने 16 राज्यों के करीब 11.8 लाख आदिवासियों के जमीन पर कब्जे के दावों को खारिज करते हुए सरकारों को आदेश दिया है कि वे अपने कानूनों के मुताबिक जमीनें खाली कराएं। सुप्रीम कोर्ट ने लाखों हेक्टेयर जमीन को कब्जे से मुक्त कराने का आदेश दिया। इस मामले में वन भूमि निरस्त दावों को लेकर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने एक कमेटी का गठन किया है। कमेटी में गृहमंत्री बाला बच्चन, विधि व विधायी कार्य मंत्री पीसी शर्मा, वन मंत्री उमंग सिंघार व जनजाति कार्य विभाग मंत्री ओमकार सिंह मरकाम को सदस्य बनाया गया है। इस कमेटी के संयोजक जनजाति कार्य विभाग के प्रमुख सचिव होंगे। कमेटी विभिन्न स्टेकहोल्डर्स से चर्चा कर अपना प्रतिवेदन शीघ्र प्रस्तुत करेगी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले का कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने खुद विरोध किया है कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों से कहा कि वे इस फैसले के खिलाफ कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करें। 
गौरतलब है कि गुना सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर चिंंता जताते हुए मुख्यमंत्री कमलनाथ को पत्र लिखकर मांग की थी कि मध्यप्रदेश सरकार को आदिवासियों, वनवासियों के घर उजड़ने से बचाने के लिए पुनर्विचार याचिका दायर करनी चाहिए। सिंधिया ने बताया था कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से देशभर के 10 लाख से ज्यादा आदिवासी परिवारों के लिए चिंताजनक स्थिति पैदा हो गई है। इनमें से 3.5 लाख परिवार तो मध्यप्रदेश से ही हैं, जिसका सबसे बड़ा कारण यह है कि भाजपा प्रशासन में आदिवासियों और वन वासियों द्वारा जमा किए गए दावों को किसी न किसी कारण मान्यता नहीं दी जाती थी। सुप्रीम कोर्ट में ही पेश किए गए दस्तावेजों के मुताबिक मध्यप्रदेश में 2 लाख 4 हजार 123 आदिवासी और 1 लाख 50 हजार 664 वन निवासियों के दावों को ठुकराया गया है, जो बाकी राज्यों के मुकाबले सबसे ज्यादा है। उन्होंने बताया कि केन्द्र सरकार ने वन अधिकार कानून के पक्ष में मजबूत दलीलें पेश नहीं की, यहां तक की सरकारी वकील तो कई पेशियों में उपस्थित ही नहीं रहते थे, लेकिन केन्द्र सरकार की इन लापरवाहियों का नुकसान आदिवासी और वन निवासियों को नहीं भुगतना चाहिए।
उन्होंने मुख्यमंत्री कमलनाथ से आग्रह किया कि प्रदेश में बड़ी मात्रा में आदिवासियों और वन निवासियों को उनकी जमीन और घर से उजड़ने से बचाने के लिए और उनके अधिकारियों के हनन को रोकने के लिए हमें हर संभव कोशिश करनी चाहिए। उन्होंने मांग सीएम से कहा कि मप्र सरकार को इस संबंध में पुनर्विचार याचिका भी दाखिल करना चाहिए। मुझे यह आशा है कि प्रदेश के आदिवासियों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए राज्य सरकार यह कदम जरुर उठाएगी।

इसके पहले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को चिट्ठी लिखकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अपनी चिंता व्यक्त की थी। राहुल ने अपने पत्र में बघेल से आदिवासियों को बेदखल करने से जुड़े कोर्ट के आदेश के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करने को कहा। राहुल गांधी ने बघेल को 23 फरवरी को लिखे अपने पत्र में कहा कि वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया एवं अन्य बनाम भारत संघ एवं अन्य के मामले में सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के संबंध में आपका तुरंत दखल देना जरूरी है। कोर्ट ने राज्य सरकारों को आदिवासियों एवं अन्य वनवासियों को बेदखल करने का आदेश दिया है जिनका दावा वन अधिकार कानून के तहत खारिज कर दिया गया है। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि इतने बड़े पैमाने पर उन्हें बेदखल किए जाने के मद्देनजर इस संबंध में पुनर्विचार याचिका दायर करना ठीक होगा।
कोर्ट के आदेश को लागू करने के लिए राज्य सरकारों के पास इस साल 27 जुलाई तक का ही समय है।
 

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