सीनियर एडवोकेट इंदिरा जयसिंह पर विदेशों से फंडिंग का आरोप, SC ने मांगा जवाब

 नई दिल्ली 
सुप्रीम कोर्ट ने सीनियर एडवोकेट इंदिरा जयसिंह के खिलाफ दायर जनहित याचिका को लेकर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। इसके अलावा शीर्ष अदालत ने इंदिरा जयसिंह और आनंद ग्रोवर से भी इस संबंध में जवाब मांगा है। याचिका में अडिशनल सॉलिसिटर जनरल रहीं इंदिरा जयसिंह पर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने इस अहम और संवेदनशील पद पर रहने के दौरान विदेशों से फंडिंग हासिल की थी। इंदिरा जयसिंह 2009 से 2014 में यूपीए सरकार के दौरान अडिशनल सॉलिसिटर  
इस बीच पूरे मामले को लेकर इंदिरा जयसिंह के समर्थन वाले एक एनजीओ ने कहा है कि उनके खिलाफ याचिका उन्हें परेशान करने के मकसद से दायर की गई है। इसकी वजह यह है कि उन्होंने चीफ जस्टिस के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली महिला का वकील के तौर पर प्रतिनिधित्व किया था। एनजीओ की ओर से जारी प्रेस रिलीज में कहा गया है कि स्पष्ट तौर पर यह इंदिरा जयसिंह के उत्पीड़न जैसा ही है, जिन्होंने सीजेआई पर आरोप लगाने वाली महिला का केस लिया था। 

लॉयर्स वॉइस नाम के संगठन की ओर से पेश सीनियर अधिवक्ता पुरुषेंद्र कौरव ने गृह मंत्रालय के 31 मई, 2016 और 27 नवंबर, 2016 के आदेश का हवाला देते हुए कोर्ट को बताया, 'जयसिंह और आनंद ग्रोवर ने विदेशी चंदा अधिनियम का उल्लंघन कर धन हासिल किया। इसके अलावा दोनों ने देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को प्रभावित करने की कोशिश करते हुए सांसदों और मीडिया के साथ लॉबिंग कर कई महत्वपूर्ण निर्णयों और नीति निर्धारण को प्रभावित करने की कोशिश की।' 

याचिका में कहा गया है कि यह सब कुछ तब किया गया, जब इंदिरा जयसिंह अडिशनल सॉलिसिटर जनरल के पद पर थीं। इस पद पर तैनात व्यक्ति अपनी कानूनी राय के जरिए सरकार के नीतियों को प्रभावित कर सकता है। याचिकाकर्ता ने कहा कि केंद्र सरकार इस मामले में जांच कराने में असफल रही है। 

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