सीएसआर के नियमों का पालन नहीं करने पर अपराध माना जाएगा

नई दिल्ली
उच्च स्तरीय सरकार की समिति ने कंपनी कानून के तहत कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व) यानी सीएसआर पर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। जिसमें सीएसआर का पालन नहीं करने उसे अपराध की श्रेणी में लाने की सिफारिश की गई है। कंपनी एक्ट 2013 के तहत लाभ कमाने वाली कंपनियों को अपने तीन साल के औसत नेट प्रॉफिट का कम से कम दो फीसदी संबंधित फाइनेंशियल ईयर में सीएसआर पर खर्च करने होते हैं। कॉरपोरेट मामलों के सचिव इंजेती श्रीनिवास की अध्यक्षता वाले पैनल ने जोर देकर कहा कि सीएसआर व्यय को सरकारी योजनाओं के लिए वित्त पोषण में अंतर का जरिया नहीं माना जाना चाहिए। श्रीनिवास ने रिपोर्ट वित्त और कॉरपोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमण को सौंपी।

आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार पैनल ने सीएसआर का अनुपालन नहीं करने पर इसे दिवानी अपराध की श्रेणी में रखा जा सकता है और जुमार्ना में बदला जा सकता है। इसके अलावा पैनल ने सीएसआर में किए गए व्यय पर कर छूट देने की सिफारिश की। विज्ञप्ति में कहा गया है कि समिति की अन्य सिफारिशों में सीएसआर के तहत 5 करोड़ रुपये या उससे अधिक के खर्च के लिए प्रभाव आकलन अध्ययन शुरू करने और कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय के पोर्टल पर क्रियान्वयन एजेंसियों का रजिस्ट्रेशन शामिल हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक, जो कंपनियां सीएसआर के तहत 50 लाख रुपये से कम राशि निर्धारित करती हैं, उन्हें सीएसआर समिति गठित करने की जरूरत से छूट दी जा सकती है। समिति ने इस बात पर जोर दिया कि सीएसआर के तहत फंड सामाजिक समस्याओं के समाधान के लिए नई तकनीकी आधारित समाधान प्रणाली उपलब्ध कराने पर खर्च होनी चाहिए। मौजूदा सीएसआर रूपरेखा की समीक्षा और इस व्यवस्था को मजबूत बनाने के बारे में सुझाव देने के लिये श्रीनिवास की अध्यक्षता में समिति का गठन अक्टूबर 2018 में किया गया था। आपको बता दें कि, समिति के सदस्यों टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन, बैन कैपिटल प्राइवेट इक्विटी के मैनेजिंग डायरेक्टर अमित चंद्रा, पूर्व अतिरिक्त सोलिसीटर जनरल बी एस नरसिम्हा, लूथरा एंड लूथरा लॉ आॅफिस के संस्थापक और मैनेजिंग डायरेक्टर राजीव लूथरा और अपोलो की  एग्जूक्यूटिव वाइस चेयरपर्सन शोभना कामनेनी शामिल हैं।

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