सिंधिया की हार के बाद कांग्रेस में हड़कंप, जिलाध्यक्ष बोले- मेरे इस्तीफा देने से क्या जीत जाएंगें महाराज

गुना
मध्यप्रदेश में कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और ; बार सांसद रह चुके ज्योतिरादित्य सिंधिया की हार ने सबको चौंका कर रख दिया है। भोपाल से लेकर दिल्ली तक सिंधिया की हार की चर्चाएं है, जबकी यूपी में जिम्मेदारी मिलने के बाद सिंधिया की पत्नी प्रियदर्शनी खुद महिनों से यहां मोर्चा संभाले हुई थी,  स्थानीय नेता और दर्जनों मंत्री-विधायक महाराज की जीत के लिए जुटे हुए थे, बावजूद इसके जीत नही दिला पाए।ऐसे में नेताओं के इस्तीफे को लेकर सवाल उठने लगे है। कुछ ऐसा ही हुआ जब कांग्रेस जिलाध्यक्ष विट्ठलदास मीणा से जब इस्तीफा देने के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि 'मैं इस्तीफा दे दूंगा, तो क्या महाराज जीत जाएंगे। यदि जीत जाएं तो इस्तीफा देने को तैयार हूं।

दरअसल, गुना-शिवपुरी संसदीय सीट से कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया की हार के बाद पार्टी में हड़कंप मच गया है और नेताओं के हाथ पांव फूले हुए है।ऐसा नही है कि कांग्रेस ने सिंधिया की जीत के लिए प्रय़ास नही किए, महिनों पहले ही यह जीत की रणनीति तैयार की गई थी।मंत्रियों, विधायकों और स्थानीय नेताओं को काम बांट दिए गए थे। लगातार सिंधिया खुद इन सब से समय समय पर फीडबैक ले रहे है, पत्नी प्रियदर्शनी भी सिंधिया की गैर मौजूदगी में सभाएं करने में जुटी थी।, हालांकि यूपी से फुरसत मिलने पर सिंधिया भी पदाधिकारियों से मिल रहे थे और आखरी दौर में उन्होंने मतदान केंद्र स्तर तक की जिम्मेदारी देते हुए प्रत्येक गांव में 20 पुरुष और 20 महिलाओं को दायित्व भी सौंपा था। मतदान के बाद उनसे फीडबैक भी लिया था।बावजूद इसके जीत हासिल ना हो सकी। 

कांग्रेस मान कर चल रही थी कि प्रदेश में विधानसभा के बाद कांग्रेस का माहौल है और वे कम से कम आधे से ज्यादा सीटों पर जीत बनाएंगें, लेकिन नतीजे इसके उलट निकले पार्टी 28  सीटों पर चुनाव हार गई यहां तक कि सिंधिया जिस सीट पर चार बार सांसद रह चुके है ,तीन पीढ़ियों से सिंधिया घराने का कब्जा रहा है। ज्योतिरादित्य सिंधिया की दादी विजयराजे सिंधिया और पिता माधवराव सिंधिया ने जीतकर इतिहास रचा था। विजयराजे सिंधिया 6 बार, पिता माधवराव सिंधिया 4 बार क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया है, बावजूद इसके हार गए।सिंधिया की हार चौंकाने वाली है, जिसने ना सिर्फ पार्टी बल्कि मंत्री-विधायकों और स्थानीय नेताओं को सकते में लाकर रख दिया है।जिसका उदाहरण जिलाध्यक्ष का दिया हुआ बयान है। उनका कहना है कि लोकसभा चुनाव में महाराज की हार हुई है। इस जनादेश को हम स्वीकार करते हैं। हार की जिम्मेदारी भी मैं लेता हूं। साथ ही कहां चूक हुई है, इसको लेकर शनिवार को बैठक में मंथन करेंगे।

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