सामान्य वर्ग को आरक्षण ने उड़ा दी विपक्ष की रातों की नींद: PM

मडगांव (गोवा) 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को उन आरोपों को खारिज किया कि सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को शिक्षा और नौकरियों में 10 प्रतिशत आरक्षण का फैसला राजनीति से प्रेरित है और लोकसभा चुनाव में सवर्णों के वोट साधने के लिए है। विपक्ष पर हमला करते हुए पीएम ने कहा कि उन्होंने सामाजिक अन्याय को दूर करने के लिए कुछ नहीं किया लेकिन जब हमने किया तो वे भौचक रह गए। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस 10 प्रतिशत आरक्षण ने विपक्ष की नींदें उड़ा दी है और वे अब झूठ और अफवाह फैला रहे हैं। वह विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए महाराष्ट्र के कोल्हापुर, हतकाननांगले, मधा और सतारा तथा दक्षिण गोवा के लोकसभा क्षेत्रों के बूथ लेवल के बीजेपी कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे थे। 

'यदि फैसले में ताकत नहीं होती तो विपक्ष की नींद नहीं उड़ती' 
प्रधानमंत्री ने सामान्य श्रेणी में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने के केंद्र के फैसले का जिक्र करते हुए विपक्ष पर आरोप लगाया, 'यदि हमारे फैसले में ताकत नहीं होती तो इन लोगों की रात की नींद नहीं उड़ी होती। उन्हें अब मैदान में उतरकर झूठ फैलाना पड़ रहा है। इसका मतलब है कि हमने सही काम किया और देश के लिए काम किया।' नए आरक्षण को लागू करने के लिए शिक्षण संस्थानों में सीटों की कमी का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा, 'मैं आश्वासन देना चाहता हूं कि हम हर शिक्षण संस्थानों में 10 फीसद सीटें बढ़ाएंगे ताकि आरक्षण के बावजूद सभी को मौका मिले।' उन्होंने कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि किसी के साथ नाइंसाफी न हो और अनुसूचित जाति/जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण जस का तस रहे। 

'चुनावी फैसले' के आरोपों को किया खारिज 
प्रधानमंत्री ने कहा, 'लेकिन (इस नए) 10 प्रतिशत आरक्षण के साथ नए मौके खुले हैं।' उन्होंने कहा कि सरकार ने राजनीतिक हितों से ऊपर उठकर काम किया है और 'सबका साथ, सबका विकास' हमारे कार्यशैली के केंद्र में रहा है। उन्होंने कहा, 'संविधान पर काफी शोध करने के बाद हमने आर्थिक रूप से कमजोर तबके लिए 10 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था की। उसने (विपक्ष) सामाजिक अन्याय को दूर करने के लिए कुछ नहीं किया। जब हमने किया तो वह भौचक रह गया।' मोदी ने कहा, 'जो लोग कहते हैं कि मैंने चुनाव को ध्यान में रखकर यह फैसला किया तो मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि देश में कब चुनाव नहीं होता है। यदि मैंने 3 महीने पहले किया होता तो वे कहते कि मैंने 5 राज्यों के चुनाव को ध्यान में रखकर किया। उससे पहले करता तो वे कहते कि मैंने कर्नाटक चुनाव के लिए किया, उससे पहले वे कहते मैंने गुजरात चुनाव में फायदे के लिए ऐसा किया।' 

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