साध्वी प्रज्ञा के गांधी संकल्प यात्रा में शामिल न होने को लेकर उठ रहे सवाल

भोपाल. बीजेपी की गांधी संकल्प यात्रा से भोपाल सांसद साध्वी प्रज्ञा की दूरी लगातार विवादों की वजह बनी हुई है. सोमवार को पहले से कार्यक्रम तय होने के बावजूद सांसद साध्वी प्रज्ञा यात्रा में शामिल होने नहीं पहुंचीं. वो भी तब जबकि वो भोपाल  में ही मौजूद थीं. बीजेपी ने तर्क दिया है कि सांसद साध्वी प्रज्ञा अस्वस्थ हैं, इस वजह से यात्रा में शामिल नहीं हो रही हैं. हालांकि सवाल ये खड़ा हो रहा है कि साध्वी प्रज्ञा पिछले कुछ दिनों से लगातार दूसरे कार्यक्रमों में शामिल हो रही हैं लेकिन गांधी संकल्प यात्रा के शुरु होने से लेकर अब तक एक बार भी शामिल नहीं हुई हैं, वो भी तब जबकि बीजेपी ने सभी सांसदों को कम से कम 150 किलोमीटर की पदयात्रा करना अनिवार्य किया है.

आपको बता दें गांधी संकल्प यात्रा में साध्वी प्रज्ञा के शामिल न होने को लेकर सवाल इसलिए भी खड़े हो रहे हैं क्योंकि नाथूराम गोडसे को लेकर दिए एक बयान के बाद प्रज्ञा पीएम मोदी तक की नाराजगी झेल चुकी हैं. साध्वी ने महात्मा गांधी  के हत्यारे नाथूराम गोडसे को देशभक्त करार दिया था.

गांधी संकल्प यात्रा से जुड़े कार्यक्रमों से बनाई दूरी
गांधी संकल्‍प यात्रा 2 अक्टूबर से शुरू हुई थी और 14 अक्टूबर तक एक भी दिन साध्वी प्रज्ञा इसमें शामिल नहीं हुई हैं. ऐसे में अब सवाल खड़े होने लगे हैं कि साध्वी के पदयात्रा में शामिल न होने को लेकर क्या कोई खास वजह है? वैसे बीजेपी ने सभी सांसदों के लिए अपने संसदीय क्षेत्र में 150 किमी की पदयात्रा अनिवार्य की है. जबकि जो सांसद पदयात्रा करने में सक्षम नहीं हैं उनके लिए रिले फॉर्म में पदयात्रा में शामिल होने का विकल्प है. साध्वी प्रज्ञा इस रूप में भी अब तक यात्रा में शामिल नहीं हुई हैं. इससे पहले भी साध्वी प्रज्ञा कई बार विवादों में घिर चुकी हैं.

विवादों में रही हैं साध्वी प्रज्ञा
साध्वी प्रज्ञा ने हेमंत करकरे की शहादत पर सवाल उठाए थे, उन्‍होंने लोकसभा चुनाव से पहले गांधीजी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को भी देशभक्त बताया था. साध्वी के इस बयान पर पीएम मोदी ने नाराजगी जताते हुए कहा था कि वो उन्हें कभी मन से माफ नहीं कर पाएंगे. साध्वी का मामला अनुशासन समिति को भी भेजा गया था, जिस पर अब तक कोई फैसला नहीं हुआ है. वैसे साध्वी प्रज्ञा गांधी पदयात्रा को लेकर आयोजित हुई संगठन की बैठकों से भी नदारद रहीं. संगठन स्तर की बाकी बैठकों से भी उनकी गैर-मौजूदगी को लेकर सवाल उछते रहे हैं.

 

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