सवर्ण आरक्षण का मप्र के मेडिकल कॉलेजों को मिला लाभ

सागर
केंद्र सरकार द्वारा चुनाव के पहले सवर्ण आरक्षण लागू करने के बाद इसका सबसे पहला फायदा मेडिकल कॉलेजों को मिलने जा रहा है। मप्र में पुराने और नए सभी मेडिकल कॉलेजों में वर्तमान में स्वीकृत एमबीबीएस की सीटों में करीब 50-50 सीटों का इजाफा हो जाएगा। जुलाई से प्रारंभ होने वाले अगले शिक्षा सत्र से प्रत्येक मेडिकल कॉलेज में वर्तमान स्वीकृत सीटों की तुलना में 50 अतिरिक्त सीटों पर प्रवेश दिया जाएगा। सवर्ण आरक्षण से अन्य आरक्षित वर्गों के विद्यार्थियों को नुकसान से बचाने के लिए यह निर्णय लिया गया है।

सागर के बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में फिलहाल एमबीबीएस की 100 सीटें हैं, लेकिन इस साल 150 सीटों पर प्रवेश की संभवना है। इसके लिए केंद्र सरकार से विशेष अनुमति मिली है। मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने भी इस पर स्वीकृति दे दी है। इसका कारण सवर्ण आरक्षण बताया गया है।

इसमें प्रावधान किया गया है कि वर्तमान स्वीकृत सीटों पर प्रवेश लेने वाले आरक्षित वर्ग जिनमें अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, फ्रीडम फाइटर, नेशनल कोटे, विकलांग कोटे, एनआरआई कोटे के तहत आरक्षित सीटों से छेड़छाड़ न की जाए। अतिरिक्त सीटें बढ़ा दी जाएं। सागर में मेडिकल कॉलेज 2009 में प्रारंभ हुआ था। अस्पताल से लेकर कॉलेज भवन व अन्य सभी इकाइयां पहले से ही 150 सीटों के आधार पर तैयार की गई हैं। जिसका फायदा अब सीधे तौर पर मिलेगा।

बीएमसी प्रबंधन ने विभाग के निर्देश के बाद आगामी शिक्षा सत्र 2019-20 में 100 की बजाय 150 सीटों पर प्रवेश के लिए जबलपुर मेडिकल यूनिवर्सिटी से संबद्धता पत्र भी ले लिया है। इसके अलावा मंगलवार को भोपाल में प्रदेश के सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों के डीन की बैठक होगी।

10 प्रतिशत सवर्ण आरक्षण के लिए मेडिकल कॉलेजों में वर्तमान स्वीकृत सीटों के आधार पर करीब 20 से 30 फीसदी सीटें बढ़ना थीं। इस लिहाज से सागर के बीएमसी में 100 की बजाय 120 या 130 सीटें हो जातीं, लेकिन एमसीआई का तर्क है कि 50 से कम सीटें बढ़ाने या घटाने का नियम नहीं हैं। इसलिए हर कॉलेज में 50 सीटें बढ़ेंगी।

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