सरकार ने फिर लिया 1 हजार करोड़ रुपए का कर्ज ,खजाने की हालत पतली

भोपाल

प्रदेश के सरकारी खजाने पर कर्ज का दबाव लगातार बढ़ रहा है। सत्ता में आने के बाद से ही विकासकार्यों और वादों को पूरा करने सरकार हर महिने कर्ज ले रही है। इन सब में सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती कर्जमाफी बनी हुई है। सत्ता में आए भले ही आठ महिने हो गए है, लेकिन अबतक किसानों का पूरा कर्जा माफ नही हो पाया है। इसी के चलते सरकार ने एक बार फिर एक हजार करोड़ रुपये का कर्ज लिया है।अब इस कर्ज का भार जनता पर बढ़ना तय है। संभावना जताई जा रही है कि इस कर्जे के बाद विकासकार्यों में तेजी आएगी।

दरअसल, वर्ष 2019 में ऐसा कोई महीना नहीं बीता, जब सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक के माध्यम से कर्ज न लिया हो। जनवरी से अगस्त तक सरकार 12 हजार 600 करोड़ रुपए का कर्ज ले चुकी है। जनवरी से अगस्त तक 12 हजार 600 करोड़ रुपए भारतीय रिजर्व बैंक के माध्यम से कर्ज लिया गया है। दो अगस्त को जो एक हजार करोड़ रुपए लिए गए हैं, उसे चुकाने की मियाद वर्ष 2039 है। चालू वित्तीय वर्ष (अप्रैल से अब तक) में छह हजार करोड़ रुपए लिए गए हैं। हालांकि अभी सरकार 18 हजार करोड़ रुपए तक और कर्ज ले सकती है। वैसे केंद्र सरकार ने जो लिमिट तय की है, उस हिसाब से इस बार राज्य सरकार 27 हजार करोड़ रुपये से अधिक कर्ज ले सकती है। इस लिहाज से देखें तो यह वित्तीय वर्ष की शुरूआत ही है।  यह सिलसिला आने वाले दिनों में अभी और बढऩे की संभावना है।

किसानों की कर्जमाफी के लिए लिया कर्ज

कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अभी तक 20 लाख से ज्यादा किसानों को कर्जमाफी दी जा चुकी है। इसके एवज में बैंकों में सात हजार करोड़ रुपए जमा कराए गए हैं। वर्ष 2019-20 में आठ हजार करोड़ रुपए का बजट प्रावधान कर्जमाफी के लिए रखा है। अब एक लाख रुपए तक चालू खाते के कर्ज को माफ करने की प्रक्रिया चल रही है। इसमें भी पूरे प्रदेश में एक साथ की जगह जिलेवार कर्जमाफी की जा रही है।

2003 बनाम 2018

2003 में कांग्रेस सरकार की सरकार हटी, तब 31 मार्च 2003 की स्थिति में प्रदेश पर 20147 करोड़ का कर्ज था। भाजपा ने सत्ता संभाली तो कर्ज कई गुना बढ़ गया। 15 साल बाद 2018 में सरकारी रेकॉर्ड के मुताबिक प्रदेश पर 1.35 लाख करोड़ का कर्ज है, लेकिन कैग की रिपोर्ट के मुताबिक यह कर्ज 1.87 लाख करोड़ से ज्यादा का है।

राज्य सरकार पर एक लाख 82 हजार 920 करोड़ से अधिक का कर्ज

केंद्र सरकार ने वित्तीय नियंत्रण के लिए राज्यों की जो सीमा तय की है, उस हिसाब से राज्य जीएसडीपी का अधिकतम 3.5 फीसदी तक ही कर्ज ले सकते हैं। मप्र के लिये राहत की बात यह है कि उसकी कर्ज की सीमा ने नियंत्रण रेखा को पार नहीं किया है। वैसे राज्य सरकार ने कर्ज लेने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक के सामने अपनी वित्तीय स्थिति का हवाला दिया है, उस हिसाब से 31 मार्च 2019 की स्थिति में राज्य सरकार पर एक लाख 82 हजार 920 करोड़ रुपए से अधिक का कर्ज है।

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