सरकार और अस्पतालों का ध्यान कोविड-19 मरीजों पर, मर रहे गंभीर बीमारियों से पीड़ित रोगी

 
नई दिल्ली

कोरोना वायरस ने एक अलग तरह की समस्या खड़ी कर दी है। अस्पताल अब गंभीर रोगों से पीड़ित मरीजों को घर भेजने लगे हैं ताकि वहां कोरोना मरीजों के लिए बेड तैयार की जा सके। जिगर (लीवर) के मरीज शाहजहां के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। दिल्ली के लोकनायक अस्पताल ने शाहजहां के परिवार से कहा कि उन्हें अस्पताल से घर ले जाएं।
 
अस्पताल ने की छुट्टी, घर में टूटा दम
40 साल की महिला शाहजहां वहां दो हफ्ते से भर्ती थीं। उन्हें मंगलवार रात को अस्पताल छोड़ना पड़ा। दूसरे अस्पतालों ने भी कोरोना संकट के कारण भर्ती लेने से इनकार कर दिया। मजबूरन उन्हें घर ले जाया गया और अगले ही सुबह उनकी मौत हो गई। शाहजहां के एक रिश्तेदार मोहम्मद खालिद ने कहा, 'अस्पताल ने उन्हें मरने के लिए छोड़ दिया। उन्होंने रेफर तो किया लेकिन ऐंबुलेंस तक नहीं दिया।'

कोरोना ने बढ़ाई मुश्किल
दरअसल, ऐसी हालत सिर्फ दिल्ली या भारत की नहीं, बल्कि पूरी दुनिया की है। कोरोना के कहर ने दुनियाभर में स्वास्थ्य सुविधाओं की किल्लत पैदा कर दी। देश में पहले से ही स्वास्थ्य सुविधाएं पर्याप्त नहीं थीं। यही वजह है कि दिल्ली एम्स के बाहर दिल्ली सरकार के लगाए कैंपों में दर्जनों लोग अपने बीमार परिजनों के साथ पड़े हुए हैं। इनमें कई दूसरे राज्यों से आए हैं जिनका कोरोना के कारण डॉक्टर से अपॉइंटमेंट कैंसल हो गया और अब लॉकडाउन के कारण घर भी नहीं जा पा रहे।
 
उत्तर प्रदेश के रामपुर निवासी मोहम्मद शान-ए-आलम ने कहा, 'डॉक्टरों ने मुझे कहा कि वो अभी कीमोथेरपी नहीं दे सकते। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन खत्म होने के बाद मुझे बुलाया जाएगा। इसमें तो हफ्तों लग जाएंगे।' 25 वर्षीय आलम ने कहा, 'मैं अब न घर जा सकता हूं, न ही अस्पताल।'

अमानवीय हालात में रहने को मजबूर
एम्स का ओपीडी बंद हो जाने से कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे मरीजों को अंडरपास में वक्त बिताना पड़ रहा है। हालांकि, स्वयं सहायता समूह इन्हें खाना दे रहे हैं जिनकी बदौलत सरयू दास को 12 घंटे बाद खाना नसीब हुआ। उनके बेटे को मुंह का कैंसर था। वह जमीन पर पतली सी बिछी पतली सी चादर पर सोया था। उस पर मक्खियां भिनभिना रही थीं। बाद में उसने दम तोड़ दिया। सड़क के नीचे बने सबवे में इस तरह के 10 परिवार थे जिनके बीच सोशल डिस्टैंसिंग के पालन का कोई उपाय ही नहीं बचा था। एम्स ने परिसर के बाहर मर रहे मरीजों पर कुछ बोलने से इनकार कर दिया।
 
अलग समस्या खड़ी कर सकती है टीबी जैसी बीमारी: एक्सपर्ट
मध्य प्रदेश की स्वास्थ्य कार्यकर्ता अमूल्य निधि ने कहा कि सरकार सिलिकोसिस और ट्यूबरकुलोसिस (टीबी) जैसी जानलेवा बीमारियों से ग्रसित लोगों और गर्भवती महिलाओं के हालात से वाकिफ है। उन्होंने कहा, 'हमें देशभर से कॉल आती है और वो दवाइयों की मांग करते हैं।'

पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट अनंत भान कहते हैं कि कोविड-19 मरीजों पर देश का ध्यान केंद्रित होने के कारण टीबी जैसी बीमारियों को पैर पसारने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा, 'टीबी मरीजों के परिवारों पर खतरा बढ़ रहा है। लॉकडाउन हटने के बाद जब लोगों में मेल-मिलाप बढ़ेगा तो टीबी का संक्रमण भी कोरोना जैसा ही बढ़ सकता है।'
 

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