सरकारी स्कूलों में करोड़ो रूपए खर्च के बाद भी हालत जस के तश, 90% बच्चे नवमीं में पढ़ने लायक नहीं

भोपाल
प्रदेश के सरकारी स्कूलों में करोड़ो रूपए खर्च करने के बाद भी हालत में सुधार नहीं आ रहे है। दूसरी तरफ विभाग के अधिकारी, शिक्षकों के ट्रांसफर में मस्त है। हालात यह है कि 90 फीसदी बच्चे आठवीं से नवमीं में पढ लायक नहीं है। यह हकीकत विभाग के बेसलाइन परिणाम में सामने आई है। इसके बाद आयुक्त लोक शिक्षण ने दोषी शिक्षकों की लिस्ट बनाकर कार्रवाई के आदेश दिए है। इनकी संख्या करीब तीस हजार के आसपास बताई जा रही है। इतनी बड़ी संख्या में विभाग पहली बार मप्र सिविल सेवा नियम के तहत कार्रवाई कर रहा है। ऐसा इसलिए है कि अभी तक शिक्षक स्थानीय निकाय के कर्मचारी होते थे। अब शिक्षकों का स्कूल शिक्षा विभाग में संविलियन हो गया है। इसके चलते पहली बार सिविल सेवा नियम के तहत दंडात्मक कार्रवाई के आदेश दिए गए है।

स्कूल शिक्षा विभाग ने तीसरी से पांचवीं, छठवीं से आठवीं व आठवीं से नवमीं में आए विद्यार्थियों का ब्रिज कोर्स करवाया था। इसके बाद विद्यार्थियों का बेसलाइन टेस्ट लिया गया। इसके परिणाम सामने आए, तो स्कूल में पढ़ाई की हकीकत सामने आ गई। प्रामयरी-मिडिल के शिक्षकों ने बेसलाइन टेस्ट में अपना रिजल्ट फिर भी बेहतर बता दिया। लेकिन जब आठवीं से नवमीं के विद्यार्थियों का बेसलाइन टेस्ट का परिणाम सामने आया, तो हिंदी में 14 फीसदी, गणित में 6 फीसदी व अंग्रेजी में 6 फीसदी विद्यार्थी ही पास हुए। इसे देखते हुए आयुक्त ने नहीं पढ़ाने वाले संबंधित शिक्षकों पर कार्रवाई के लिए लिखा है।

ब्रिजकोर्स के बेसलाइन टेस्ट के परिणाम में रिजल्ट ने शिक्षकों के पढ़ाने की पोल खोल दी है। इसमें सामने आया कि तीसरी से पांचवीं कक्षा में हिंदी में 44 फीसदी, गणित में 59 फीसदी व अंग्रेजी में 70 फीसदी विद्यार्थी पास हुए। कक्षा छटवीं से आठवीं तक हिंदी में 42 फीसदी, गणित में 35 फीसदी व अंग्रेजी में 24 फीसदी पास हुए। कक्षा आठवीं से नवमीं में जाने वाले विद्यार्थियों का रिजल्ट ने प्रामयरी व मिडिल स्कूलों के शिक्षकों की पढ़ाने की गुणवत्ता की स्थिति सामने लाकर रख दी। इसके परिणाम में हिंदी में 14 फीसदी, गणित में 6 फीसदी व अंग्रेजी में 6 फीसदी विद्यार्थी पास हुए। यह स्थिति सामने आने के बाद आयुक्त ने कार्रवाई के लिए लिखा है।

बेसलाइन का परिणाम सामने आने के बाद आयुक्त लोक शिक्षण जयश्री कियावत ने लिखा है कि यह स्थिति अत्यंत चिंताजनक है। कक्षा आठवीं में विद्यार्थियों के पढ?े-लिखने की तरफ शिक्षकों ने कोई ध्यान नहीं दिया। ऐसे विद्यालय जहां 3 से 5 स्तर के विद्यार्थियों की संख्या राज्य के औसत से अधिक है, ऐसे हाई व हायर सेकेंडरी विद्यालयों के केचमेंट में आने वाली माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों के विरुद्ध कार्य में लापरवाही हेतु मप्र सिविल सेवा नियम 1966 के तहत दंडात्मक कार्यवाही की जाए। संबंधित शिक्षकों पर कार्यवाही कर पंद्रह सितंबर तक राज्य कार्यालय को प्रतिवेदन भेजा जाए।

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