सरकारी अमले की लापरवाही, मप्र के 16 लाख से अधिक मजदूर रहे काम से वंचित

भोपाल
प्रदेश में रोजगार के अभाव में हर साल लाखों लोगों द्वारा किए जाने वाले पलायन के बाद भी सरकारी अमले की लापरवाही भारी पड़ रही है। इसका बड़ा उदाहरण यह है कि पूरे साल में 16 लाख से अधिक मजदूर ऐसे रहे हैं जिन्हें एक भी दिन का काम नहीं मिला। खास बात यह है कि इन मजदूरों के लिए न तो पंचायतों ने ही सरकार से काम की मांग की और न ही इनके लिए कार्ययोजना तैयार की गई। यही नहीं कलेक्टरों और जिला पंचायत सीईओ से लेकर पंचायत सचिव तक उन्हें काम उपलब्ध कराने में लापरवाह बने रहे। खास बात यह है कि लगभग 10500 मजदूरों को तो मांगने के बाद भी पंचायतों द्वारा काम नहीं दिया गया। गौरतलब है कि प्रदेश के सभी जिला पंचायत सीइओ ने 68 लाख 30 हजार मजदूरों के जॉब कार्ड बनाए हैं, लेकिन इनमें से अब तक केवल 51 लाख 53 हजार मजदूरों को ही काम दिया गया है। इनमें भी 5 लाख श्रमिक ऐसे हैं जिन्हें मौजूदा वित्तीय वर्ष में अभी तक सिर्फ एक दिन से लेकर एक हफ्ते तक ही काम दिया गया है। जबकि मनरेगा एक्ट के अनुसार प्रत्येक श्रमिक को प्रति वर्ष सौ दिन का काम उपलब्ध कराना पंचायतों की जिम्मेदारी है। सूत्रों का कहना है कि पंचायत सचिव और ग्राम समितियों ने श्रमिकों के साथ बैठकर काम के संबंध में कोई कार्ययोजना ही नहीं की। जबकि तैयार की गई कार्ययोजना को ग्राम पंचायतों की बैठक में पास कराकर सरकार के पास प्रस्ताव भेजना था। लेकिन कई गांवों में सचिव और सरपंचों ने मजदूरों को काम दिलाने के लिए सरकार से कोई मांग ही नहीं की। मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत और जिला पंचायत अधिकारियों ने इन पंचायत सचिवों से जवाब तलब भी नहीं किया। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की अपर मुख्य सचिव गौरी सिंह की समीक्षा के बाद सीईओ जिला पंचायत ने सचिवों से काम के संबंध में जानकारी बुलाई है। जिन गांवों में काम की मांग नहीं की, उनसे काम की डिमांड करने के लिए कहा गया है।

167289.01 लाख रुपए हुए खर्च

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) में प्रदेश को इस वित्तीय वर्ष के लिए 167289.01 लाख रुपए अभी तक खर्च किए हैं। जबकि वर्ष के लिए 540400.80 लाख रुपए खर्च हुए थे। जो कि पिछले वर्ष के आवंटित बजट की तुलना में 373111 लाख रुपए कम है। इसी राशि से मजदूरों के लिए काम निर्मित किया जाता है और उन्हें मजदूरी आवंटित की जाती है।

काम के अभाव में देना पड़ा 64.72 लाख का मुआवजा

मजदूरों द्वारा काम मांगने पर भी उन्हें काम नहीं देने की स्थिति में उन्हें मुआवजा और बेरोजगारी भत्ता देना होता है। पिछले वित्तीय वर्ष मे सरकार ने घर बैठे श्रमिकों को 64.72 लाख रुपए का मुआवजा और 0.02 लाख रुपए बेरोगाजरी भत्ता देना पड़ा है।

इन जिलों में अधिकांश मजदूरों को नहीं मिल रहा काम

जिला —-रजिस्टर्ड मजदूर ——नहीं मिला काम — कलेेक्टर का नाम

-शहडोल—-161202——126287

– उमरिया —-120204——92676

-अलीराजपुर—-119534——88437

-सागर—-235537——156047

– विदिशा—-93173——80547

-रीवा—-173709——119884

– बैतूल —-202302——161014

– गुना, —-136812——84059

– बुरहानपुर,—-74665——50091

-बड़वानी —-135165——110115

– कटनी—-142639——116549

-रतलाम—-142086——102579

-छतरपुर,,—-220482——183273

-सिंगरौली, —-164905——104286

– दमोह—-156086——105959

-धार—-302978——207773

-होशंगाबाद, —-67022——48425

-सतना—-151200——111069

– ग्वालियर, —-62925——46864

– खरगोन —-202177—–143938

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