समय के साथ चलें

 भोपाल

नव-वर्ष 2020 का शुभारम्भ हो रहा है। वर्ष 2019 स्मृति में अंकित हो गया है। हम सब  नव- वर्ष की सुबह का स्वागत  आशाओं, उत्साह और सकारात्मक ऊर्जा के साथ करें।   हर पल नया सीखने के लिए तैयार रहें और विफलताओं से सीखने के लिए तो हमेशा तैयार रहें।  ख्याल रहे कि असफलताएँ और कुछ नहीं बल्कि आधे-अधूरे मन से किए गए प्रयासों का फल हैं।  सफलता एक सापेक्ष वस्तु है।  कई बार ईमानदार और भरपूर प्रयासों के बावजूद यह दूर रहती है।  इसलिए हमेशा उत्कृष्टता की तलाश करें।  मुझे शास्त्रीय उर्दू शायरी का एक नायाब शेर  याद आता है, जिसमें शायर अल्ताफ हुसैन हाली  कहते हैं-

“है जुस्तजू कि खूब से है खूबतर कहाँ ?

अब ठहरती है देखिए जा कर नजर कहाँ?”

इसका सीधा अर्थ है कि हमेशा उत्कृष्टता की तलाश में रहें और इसे हासिल करने के लिए बिना थके आगे बढ़ते रहें।

असफलताओं से डरने और सफलताओं से मोहित होने की जरुरत नहीं । हम  तभी असफल होते हैं, जब हम बदलते समय के साथ तालमेल रखने में असफल होते हैं। समय  कठोर होता है।  वह आपकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति या भौगोलिक पहचान की परवाह नहीं करता।  किसी के लिए नहीं रुकता।  समय एकमात्र कीमती चीज है, जो हर किसी के पास है लेकिन कुछ ही लोगों के पास इसका उपयोग करने का विवेक होता है।

मुझे प्रसिद्ध रूसी  चित्रकार मार्क चगाल की एक प्रसिद्ध पेंटिंग का शीर्षक याद आता है  कि 'समय बिना किनारों की नदी है।' इसलिए यदि समय को मनचाही दिशा में प्रवाहित करना हो, तो  समय की नदी पर किनारे बनाने के लिए तैयार रहें। यह हम सभी के लिए चुनौती है।  इस प्रयास में कोई हमारी मदद नहीं कर सकता।  जो समय के साथ दोस्ती करते हैं, वे अन्ततः  अपनी मनचाही मंज़िलों  को पा लेते हैं। सहजता से अपने लक्ष्यों को हासिल कर लेते हैं। दुनिया में कुछ चीजें हैं, जो पैसों से नहीं खरीदी जा सकती  जैसे स्नेह, ज्ञान, विश्वास, नींद,  मुस्कुराहट, सेहत, दोस्ती और निश्चित रूप से शक्तिशाली समय।  हम हर पल नष्ट होते जाते हैं यदि कीमती पलों को व्यर्थ गँवाते जाएँ।

नए साल में, समय के बेहतर और रचनात्मक उपयोग के प्रति संवेदनशील होने का संकल्प लें।  हर पल का सम्मान करें और समय का प्रबंधन  करना सीखें।

हम अच्छे या बुरे समय का आकलन  कर सकते हैं।  हम उज्जवल भविष्य की अच्छी से अच्छी कल्पना कर सकते हैं । हम अपनी विचार प्रक्रिया में वर्तमान समय से आगे की सोच सकते है, लेकिन सच यह है कि हमें समय के साथ ही  चलना है। चाहे विद्यार्थी हो, किसान हों, व्यापारी हों, अमीर या गरीब हों किसी भी पद पर हो, आपको समय के साथ कदमताल  करना होगा ।

हम समय नहीं देख सकते।  इसे सिर्फ महसूस करते हैं। जैसे हम हवा को नहीं देख सकते लेकिन इसकी गति  को महसूस करते हैं।  हालाँकि घड़ियाँ हमारी मदद करती हैं लेकिन हम समय को बदलाव से ही अनुभव करते हैं।  इसलिए शास्त्रों में  कहा गया है कि समय हर जख्म भर देता है।  सबके  पास अच्छे समय की अपनी सोच  हैं।  लोग अपनी खुशियों के लिए हजारो खर्च करते हैं , लेकिन समय का सदुपयोग करने वालों को  खुशियाँ स्वाभाविक रूप से  मिलती हैं।

हमें समय के प्रति  बेहद संवेदनशील होना होगा।  इसलिए, हमेशा समय का ध्यान रखें।  घड़ियों, सेकंड, मिनट, घंटे, तारीख, महीने और वर्षों के बिना दुनिया की कल्पना करो।  इनके बिना भी समय का अस्तित्व था और हमेशा रहेगा। यह पृथ्वी और ब्रह्मांड की सबसे कीमती वस्तु है।  एक क्षण भी व्यर्थ न जाने दें।  हमेशा बड़े काम करने का प्रयास करें और अपना योगदान देने के लिए तैयार रहें।

मैं हमेशा अपने पसंदीदा व्यक्तित्व अल्बर्ट आइंस्टीन के कालजयी शब्दों को दोहराना चाहूँगा  जिन्होंने कहा था – 'हर दिन सौ बार मैं खुद को याद दिलाता हूँ कि मेरा आंतरिक और बाहरी जीवन अन्य लोगों के श्रम पर आधारित है। चाहे वे जीवित हों या न हों। जो कुछ  मुझे उनसे मिला और अब भी मिल रहा है,  उसे उसी मात्रा में लौटाने के लिए मुझे खुद  श्रम करना होगा।'  मुझे विश्वास है कि हर जिम्मेदार नागरिक इन स्वर्णिम शब्दों से सहमत होगा।

मैं सभी नागरिकों को नव-वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ देता हूँ और कामना करता हूँ कि सब स्वस्थ, प्रसन्न और संपन्न रहें।

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