सभी उपहार नहीं होते हैं कर मुक्त, जानकारी छुपाने पर देना पड़ सकता है 200 फीसदी तक का जुर्माना

नई दिल्ली    
हम अपने दोस्त-रिश्तेदार को अक्सर शादी, सालगिरह और जन्मदिन के मौकों पर उपहार दिए जाते हैं। छोटे अवसर पर हम नकदी और बड़े अवसरों पर जमीन, घर सोने-चांदी के गहने आदि उपहार के तौर देते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि सभी उपहार कर मुक्त नहीं होते हैं। भारतीय उपहार कर अधिनियम, 1958 को 1998 में समाप्त करने के बाद से उपहार कर मुक्त हुआ था लेकिन 2004 में वित्त अधिनियम लाकर फिर से टैक्स वसूलने का प्रावधान शुरू किया गया।

इसके तहत किसी व्यक्ति या अविभाजित हिन्दू परिवार (एचयूएफ) को मिले उपहार पर इस तरह टैक्स चुकाना पड़ता है। अगर आपको गैर-रिश्तेदार से एक वित्त वर्ष के अंदर 50 हजार हजार रुपये तक का उपहार प्राप्त होता है तो आयकर से मुक्त होता है। लेकिन अगर एक वित्त वर्ष में इससे अधिक रकम यानी 51 हजार या इससे अधिक उपहार में मिलता है तो पूरे पर आयकर देना होगा। उपहार पर आयकर कैसे लगता है और किन मामलों में मिलती है छूट पर पेश है हिन्दुस्तान टीम की रिपोर्ट।

उपहार पर कब लगेगा टैक्स

  1. अगर एक वित्त वर्ष में नकदी, चेक, ड्रॉफ्ट से 50 हजार रुपये से अधिक रकम उपहार के तौर पर प्राप्त होता है तो पूरे रकम पर आयकर का भुगतान करना होगा। वहीं इससे कम की रकम पूरी तरह से आयकर मुक्त होगा।
  2. अगर आप अपने रिश्तेदार या किसी व्यक्ति को जमीन या घर उपहार में देते हैं तो प्रॉपर्टी की स्टांप शुल्क मूल्य के हिसाब से इस पर आयकर चुकाना होगा। अगर संपत्ति की स्टांप शुल्क मूल्य 50 हजार  रुपये से अधिक है तो इस पर आयकर देना पड़ेगा।
  3.  अगर एक वित्त वर्ष में गहने, पेंटिंग, ड्राइंग, शेयर, आर्कियोलॉजिकल कलेक्शन, सोना-चांदी आदि उपहार के तौर पर मिला है और उसकी बाजार कीमत 50 हजार रुपये से अधिक है तो कर चुकाना पड़ेगा।

किसके गिफ्ट पर नहीं लगता टैक्स

  • अगर आपकी शादी हुई और रक्त संबंधी या नजदीकी रिश्तेदार से उपहार मिला है तो वह कर मुक्त होगा।
  • अगर आपको कोई कीमती उपहार जैसे जमीन, घर वसीयत के जरिए प्राप्त हुआ है तो आपको कोई कर उसके ऊपर नहीं देना होगा।
  • आपने कोई अच्छा काम किया है और वहां का स्थानीय प्रशानस आपको उपहार देता है तो वह कर मुक्त होगा।
  • किसी शिक्षण संस्थान या चैरिटेबल संस्था से मिला उपहार भी धारा 10(23) के तहत कर मुक्त होता है।

अगर आपको नकदी के रूप में या किसी अन्य अचल संपत्ति के रूप में अपने रिश्तेदारों से 50 हजार रुपये से ज्यादा के उपहार मिले हैं तो इसकी जानकारी आयकर दाखिल करते समय रिटर्न फॉर्म में देना जरूरी है। अगर जानकारी नहीं देते तो आयकर की जांच में यह समाने आता है तो आयकर अधिकारी प्राप्त रकम पर 200 फीसदी तक जुर्माना लगा सकते हैं। इसलिए अगर एक वित्त वर्ष में 50 रुपये से अधिक मूल्य के चल,अचल संपत्ति या नकदी प्राप्त हुई है तो इसकी जानकारी आयकर रिटर्न फॉर्म में दें और कर चुकाएं।

शादी-विवाह के दौरान दूल्हे या दुल्हन को मिलने वाले उपहार टैक्स  के दायरे से बाहर होते हैं। भले ही वे चाहे किसी रिश्तेदार से मिले हों या गैर से। लेकिन, ऐसे उपहार  देने की तारीख शादी के दिन या उसके आसपास ही होनी चाहिए। ऐसा नहीं है कि शादी के नाम पर आप जब कभी चाहें उपहार प्राप्त कर लें और उस पर टैक्स छूट का दावा करें। इसमें उपहार के मूल्य वैल्यू की कोई सीमा नहीं है।

गिफ्ट डीड एक तरह का दस्तावेज है, जिसका इस्तेमाल नकद या वस्तु के रूप में किसी उपहार के लेन-देन के समय इस्तेमाल किया जाता है। वहीं उपहार किसी भी चल या अचल संपत्ति का अपनी इच्छा और स्वतंत्र रूप से किया जाने वाला हस्तांतरण है। उपहार प्राप्त करने वाला व्यक्ति, उपहार देने वाले व्यक्ति को उपहार की कीमत का भुगतान नहीं करता।

विशेषज्ञों के मुताबिक, नकदी, चेक, प्रॉपर्टी, आभूषण आदि उपहार मिला है तो वह कर योग्य हो भी सकता है। गिफ्ट डीड के जरिए आप महंगे उपहार जैसे की आभूषण, प्रॉपर्टी या नकद रकम अपने रिश्तेदारों को देकर कर बचत कर सकते हैं। इसका इस्तेमाल आपके पिता आपको नकद देने की एवज में कर सकते हैं। वहीं पिता के खरीदे फ्लैट का हस्तांतरण अपने नाम कराने पर भी इसका फायदा उठाया जा सकता है। हालांकि, बाद में होने वाली आय पर आपको कर चुकाना पड़ सकता है। गिफ्ट डीड के जरिए प्रॉपर्टी का हंस्तांतरण कर आप दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ/हानि से बच सकते हैं लेकिन आपको कीमत के अनुसार स्टाम्प ड्यूटी चुकानी होगी।

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