सबरीमला फैसले पर कोई रोक नहीं है: सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि केरल के सबरीमला मंदिर में सभी आयु की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने वाले उसके पिछले फैसले पर कोई रोक नहीं है। जस्टिस एन वी रामन्ना की अगुवाई वाली बेंच ने मंदिरों के प्रबंधन से जुड़े एक अन्य मामले की सुनवाई के दौरान यह स्पष्टीकरण दिया गया। बेंच में शामिल जस्टिस बी आर गवई ने कहा कि 10 से 50 वर्ष की आयु वाली महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध को हटाने वाले सितंबर 2018 का फैसला बरकरार है।
केरल सरकार ने एक एक्ट पेश किया है जिसके तहत राज्य के सभी मंदिर आएंगे। इसके साथ ही प्रस्तावित मंदिर सलाहकार समिति में महिलाओं को एक-तिहाई आरक्षण दिया जाए। हालांकि, इससे बेंच खुश नहीं है। बेंच ने केरल सरकार को केवल सबरीमला से संबंधित कानून जनवरी के मध्य तक बनाने का निर्देश दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने 27 अगस्त, 2019 को राज्य को सबरीमला के लिए एक कानून बनाने को कहा था लेकिन राज्य ने केवल त्रावणकोर-कोचीन हिंदू रिलीजियस इंस्टीट्यूशंस एक्ट में बदलाव किए थे।
बेंच ने कहा कि वे संशोधन पर्याप्त नहीं हैं। संशोधनों में मंदिर सलाहकार समितियों में महिलाओं को शामिल करने का प्रस्ताव है। राज्य ने कहा कि क्या सबरीमला मामले में केवल समीक्षा की अनुमति है। राज्य का कहना था कि 50 वर्ष से अधिक आयु की महिलाओं को इन कमेटियों में नियुक्त किया जाएगा।
सबरीमला पर कुछ नई जनहित याचिकाओं का सात जजों की बेंच फैसला करेगी। बेंच एक श्रद्धालु की धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार का मस्जिदों में प्रवेश करने की मुस्लिम महिलाओं की मांग, पारसी महिलाओं की फायर टेम्पल में प्रवेश करने के अधिकार की मांग के अनुसार भी विचार करेगी।