सबकी चिन्ता-सबका सहयोग

 भोपाल

मुख्यमंत्री  शिवराज सिंह चौहान की सरकार प्रदेश में “परहितसरिसधर्मनहिंभाई” के सिद्धांत पर काम कर रही है। कोरोना संकटकाल में अपनी नैतिक जिम्मेदारियों को निभाते हुए राज्य सरकार का सिर्फ यही मकसद है कि प्रदेशवासियों को किसी प्रकार का कोई कष्ट न हो, विशेषकर गरीब तबके, किसान, दिहाड़ी मजदूर, महिलाओं और विशेष पिछडे इलाकों के रहवासियों को किसी प्रकार की कोई परेशानी न हो।  शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री की शपथ लेते ही संबंधित विभागों की समीक्षा कर प्रदेशवासियों को हर संभव सुविधायें पिछले तीन माह में उपलब्ध करवाई हैं। अल्प अवधि राजकीय कोष को चौतरफा खोल समाज के प्रत्येक वर्ग को सहायता पहुंचाकर मुख्यमंत्री  चौहान ने केवल उदारता का परिचय दिया बल्कि एक मिसाल कायम कर महानायक के रूप में पुन: अपनी पहचान स्थापित की।

जब कोरोना संक्रमण का असर मध्यप्रदेश में बढ़ रहा था, तब  शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश के मुखिया की कमान संभाली।  चौहान के सामने यह मुश्किल घड़ी थी, जिसे उन्होंने चुनौती के रूप में स्वीकारते हुए प्रदेश की जनता के हित में निर्णय लिये और उनका क्रियान्वयन भी सुनिश्चित किया। उनके ये प्रयास अभी भी निरंतर जारी हैं।

प्रदेश की जनता को कोरोना के संक्रमण से बचाने के लिये मुख्यमंत्री  चौहान को कुछ ऐसे कठिन निर्णय भी लेने पड़े, जिनसे आमजनता को परेशानी तो महसूस हुई होगी, लेकिन उनका और उनके परिवार का जीवन सुरक्षित रहा। कोरोना का संकट जैसे- जैसे अपने पैर फैला रहा था, सरकार के लिये मुसीबत भी बढ़ती जा रही थी। इन परिस्थितियों से घबड़ाये बिना मुख्यमंत्री  चौहान ने अपनी प्रशासनिक सूझ-बूझ का परिचय देते हुए मध्यप्रदेश को सुरक्षित रखने में अहम् सफलता प्राप्त की। मंत्रिमण्डल के सदस्यों, जनप्रतिनिधियों, पूर्व मुख्यमंत्रियों, धार्मिक गुरूओं और विभागीय अधिकारियों से सतत सम्पर्क बना कर कोरोना संकट से निपटने की पहल की जाती रही है।

 चौहान ने समाज के हर तबके के साथ संवाद बनाये रखा और उनकी समस्याओं को जानकर उनका निराकरण भी किया। मध्यप्रदेश के इतिहास में पहली बार किसी मुख्यमंत्री ने संचार की तकनीकों का उपयोग कर 237 घंटे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से किसानों, मनरेगा श्रमिकों, पंचायत प्रतिनिधियों, पत्रकारों, तेंदूपत्ता संग्राहकों, धर्म गुरूओं, संबल योजना के हितग्राहियों, स्वास्थ्य महकमे के अधिकारी, मैदानी स्वास्थ्यकर्मियों, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं एवं सहायिकाओं सहित उन व्यक्तियों के साथ भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की जो चिकित्सालयों से कोरोना से जंग जीत कर वापस आये।

देश के प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी की विचारधारा को मध्यप्रदेश की भूमि पर उतारने के लिये मुख्यमंत्री  शिवराज सिंह चौहान ने कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। लॉकडाउन के संबंध में जारी केंद्र सरकार की एडवायजरी को प्रदेश में सख्ती से लागू किया गया। इसके साथ ही प्रदेश की जनता के लिये विशेष परिस्थितियों में विशेष जरूरतों के अनुरूप कदम उठाते हुए हर वर्ग को आर्थिक सहायता एवं जरूरी आवश्यकतायें उपलब्ध करवाई हैं। इससे एक कदम आगे बढ़ते हुए मुख्यमंत्री  चौहान ने आत्मनिर्भर भारत निर्माण की दिशा में भी कदम बढ़ायें।

मुख्यमंत्री  चौहान के पिछले 3 माह के कार्यकाल को यदि देखा जाये तो उन्होंने विभिन्न योजनाओं में पांच करोड़ 17 लाख हितग्राहियों के खाते में करीब 38 हजार करोड़ की राशि उनके खातों में अंतरित की है। यह राशि गरीब वर्ग, श्रमिकों, हितग्राहियों के साथ किसानों के लिये जीवन का आधार बनी। सामाजिक सुरक्षा पेंशन के 562.34 करोड़, तीन विशेष पिछड़ी जनजातियों के लिए 44.60 करोड़, मुख्यमंत्री प्रवासी मजदूर सहायता योजना में 14.81 करोड़, श्रम सिद्धि अभियान और मनरेगा के अंतर्गत 1862 करोड़, फसल बीमा योजना के 2981 करोड़, प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना जो भारत सरकार की योजना है, में 1500 करोड़, स्कूल शिक्षा विभाग के अंतर्गत मध्यान्ह भोजन योजना में 87.49 लाख विद्यार्थियों को 263 करोड़ और रसोइयों के खातों में 84 करोड़ की राशि दी गई।

इसी तरह छात्रवृत्ति की योजनाओं में 51 लाख विद्यार्थियों को 475.30 करोड़ दिए गए। गेहूँ उपार्जन के फलस्वरुप करीब 16 लाख किसानों को 24,000 करोड़ की राशि प्रदान की गई है। इसके साथ ही चना सरसों और मसूर की खरीदी पर लगभग 3 लाख किसानों को 2762 करोड़ रुपए की राशि दी गई। तेंदूपत्ता संग्राहकों को 477 करोड़, संबल योजना में 24 हजार से अधिक हितग्राहियों को 137.41 करोड़, करीब नौ लाख निर्माण श्रमिकों को 177 करोड़ की राशि दी गई। प्रधानमंत्री मातृ-वंदना योजना में 36 करोड़ की राशि दी गई। लाड़ली लक्ष्मी योजना में 12.27 करोड़, मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान निधि में 8.24 करोड़, प्रधानमंत्री आवास योजना में शहरी क्षेत्र के लिए 82.41 करोड़ और ग्रामीण क्षेत्र के लिए 451 करोड़ की राशि दी गई। अध्यात्म विभाग द्वारा शासकीय देव स्थानों के पुजारियों के लिए 6 करोड़, बिजली उपभोक्ताओं को 623 करोड़ की राशि प्राप्त हो रही है। इसके अलावा जीवन अमृत योजना में दवा और काढ़ा वितरण के लिए 35 करोड़ की राशि प्रदान की गई। अन्य योजनाओं में पंच-परमेश्वर योजना में 70 करोड़, निराश्रितों, प्रवासी मजदूरों को खाद्यान्न प्रदाय पर 120.96 करोड़, कोराना संकट के फलस्वरूप अन्य प्रदेशों से आए मजदूरों के राहत शिविरों के प्रबंध के लिए जिलों को 21 करोड़ के आवंटन के साथ ही प्रवासी श्रमिकों की परिवहन व्यवस्था के लिए 47 करोड़ दिए गए। इसके साथ ही उपभोक्ताओं को खाद्यान्न आपूर्ति और अग्रिम राशन प्रदाय की व्यवस्था की गई। कुल 7.71 लाख मीट्रिक टन गेहूँ और चावल वितरित किया गया। राज्य सरकार ने पंच-परमेश्वर योजना में 1555 करोड़ की राशि और 15वें वित्त आयोग में नगरीय निकायों को 330 करोड़ रूपये आवंटित किये गए। इसके साथ ही अध्यात्म विभाग द्वारा मंदिरों के जीर्णोद्धार के लिए दी गई राशि 2.46 करोड़ शामिल है।

मई माह में प्रदेश के सामने एक और गंभीर समस्या उस समय आन पड़ी, जब अन्य प्रांतों में कार्य करने गये श्रमिकों का एक साथ मध्यप्रदेश आना शुरू हो गया। इस स्थिति की गंभीरता को भांपते हुए मुख्यमंत्री  चौहान ने प्रदेश की सीमाओं पर आने वाले श्रमिकों के लिये बड़े पैमाने पर परिवहन, भोजन, पानी, चिकित्सा के साथ धूप से बचाने के लिये पंडाल लगाकर छाँव की व्यवस्था की। प्रशासनिक अमले की सक्रियता और संवेदनशीलता के चलते करीब 14.98 लाख प्रवासी श्रमिकों को उनके गृह जिले में सकुशल भेजा गया। इसके साथ ही अन्य प्रांतो के ऐसे श्रमिक जो मध्यप्रदेश से होकर अपने प्रांतों में जाना चाह रहे थे, उन्हें भी उनके राज्य की सीमा तक राज्य सरकार ने अपने खर्चे पर पहुँचाया। बाहर से आये श्रमिकों के लिये मुख्यमंत्री  चौहान ने श्रमसिद्धि योजना भी लागू की है, जिसमें न केवल श्रमिकों के मनरेगा योजना में जॉब कार्ड बनाये जा रहे हैं बल्कि उन्हें स्थानीय स्तर पर रोजगार भी मुहैया करवाया जा रहा है। एक कदम और आगे बढ़ाते हुए मुख्यमंत्री  चौहान ने प्रदेश में रोजगार सेतु पोर्टल बनाकर प्रवासी श्रमिकों के हुनर के अनुसार रोजगार देने की पहल की। इस पोर्टल के माध्यम से नियोक्ता और श्रमिकों का सीधा सम्पर्क बना। पोर्टल पर अभी तक 20 हजार नियोक्ताओं ने पंजीयन करवाया है और 6 हजार से अधिक जरूरतमंद श्रमिकों को रोजगार भी दिया है। इस रोजगार सेतु पोर्टल की विशेषता यह है कि श्रमिकों को उनके कौशल अनुसार रोजगार उपलब्ध हो रहा है। सरकार के प्रयासो से हर वर्ग में उम्मीद और विश्वास के साथ आगे बढ़ने मार्ग प्रशस्त हुआ।

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