शूटर चिमन सिंह को हाईकोर्ट से नहीं मिली स्थायी रूप से छत्तीसगढ़ छोड़ने की अनुमति

रायपुर 
छत्तीसगढ़ के चर्चित रामावतार जग्गी हत्याकांड के शूटर चिमन सिंह को हाईकोर्ट ने स्थायी रूप से छत्तीसगढ़ छोड़ने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है. चिमन सिंह को सिर्फ 4 माह के लिए छत्तीसगढ़ से बाहर जाने की अनुमति दि गई है. साथ ही चिमन को हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि 4 माह के बाद वे छत्तीसगढ़ लौटेगा और ट्रॉयल कोर्ट में उपस्थित होगा.

बता दें की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के कोषाध्यक्ष रामावतार जग्गी की 4 जून 2003 को रायपुर में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इस मामले में सीबीआई ने पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के बेटे और मरवाही के पूर्व विधायक अमित जोगी सहित 31 लोगों को आरोपी ठहराते हुए रायपुर की विशेष अदालत में पेश किया था. कोर्ट ने 31 मई 2007 को दिए गए फैसले में विशेष न्यायाधीश बीएल तिड़के की कोर्ट ने अमित जोगी सहित विश्वनाथ राजभर, विनोद सिंह, श्यामसुंदर उर्फ आनंद, अविनाश उर्फ लल्लन सिंह, तथा जामवंत कश्यप को दोषमुक्त ठहराया था. 19 आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी, जिसमे शूटर चिमन सिंह, याहया ढेबर, अभय गोयल,शिवेंद्र सिंह, फिरोज सिद्दिकी, विक्रम शर्मा, राकेश शर्मा, अशोक भदौरिया,संजय कुशवाहा, राजीव भदौरिया, नरसी शर्मा, विवेक भदौरिया, रवि कुशवाहा, सत्येंद्र सिंह तोमर, सुनील गुली, अमित पचौरी तथा हरीश चंद्र शामिल थे.

इस मामले में पांच पुलिस अधिकारियों को भी पांच-पांच वर्ष की सजा सुनाई गई थी. लगभग सभी आरोपियों को हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई थी. शूटर चिमन सिंह को 2012 में सुप्रीम कोर्ट से सशर्त जमानत मिली थी, इसमे कोर्ट की अनुमति के बिना छत्तीसगढ़ से बाहर जाने पर रोक शामिल था. इसके बाद शूटर चिमन सिंह ने हाईकोर्ट में आवेदन प्रस्तुत कर स्थायी रूप से छत्तीसगढ़ छोड़ने की अनुमति देने की मांग की थी. आवेदन में उसने मूल रूप से भिंड मध्यप्रदेश का निवासी होने का हवाला देते हुए बूढ़ी मां, परिजनों और पैतृक जमीन की देखरेख के लिए वहां रहने की जरूरत बताई थी.

सीबीआई की तरफ से पैरवी करते हुए एडिशनल सॉलिसिटर जनरल बी. गोपाकुमार ने इसका विरोध करते हुए कहा कि उसे हत्या का आरोपी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई गई है. सुप्रीम कोर्ट ने उसे सशर्त जमानत दी है. मामले की गंभीरता और बैकग्राउंड को देखते हुए उसे स्थायी रूप से छत्तीसगढ़ छोड़ने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए. अब जस्टिस मनींद्र मोहन श्रीवास्तव और जस्टिस विमला सिंह कपूर की बेंच ने उसे स्थायी रूप से छत्तीसगढ़ छोड़ने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है. उसे कुछ शर्तों के तहत चार माह के लिए छत्तीसगढ़ से बाहर जाने की अनुमति दी गई है. आदेश के चार माह बाद उसे छत्तीसगढ़ लौटने और ट्रायल कोर्ट में उपस्थित होने के निर्देश दिए गए है.

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