शिव राज में मध्यप्रदेश में भी स्टाम्प घोटाला! कांग्रेस ने लगाया 22 हजार करोड़ की हेराफेरी का आरोप

इंदौर
मध्य प्रदेश में एक और बड़ा घोटाला सामने आया है. कांग्रेस के प्रदेश सचिव राकेश सिंह यादव ने आरोप लगाया है कि बीजेपी की शिवराज सरकार के दौरान एमपी में 22 हजार करोड़ रुपए का स्टाम्प घोटाला किया गया. उन्होंने इसके सबूत के तौर पर राज्य के कई शहरों में किए गए 19 स्टिंग ऑपरेशन की क्लिप्स मीडिया को दी हैं.

कांग्रेस प्रदेश सचिव राकेश सिंह यादव ने आज इंदौर में एक प्रेस कांफ्रेंस में आरोप लगाया कि शिवराज सरकार में 25 हजार से ज्यादा स्टाम्प वेंडरों को लाइसेंस बांटे गए. जिन्हें ये बांटे गए वो बीजेपी और संघ से जुड़े लोग थे. इन लोगों ने डिमांड और सप्लाई का हवाला देकर  15 साल में 22 हजार करोड़ से ज्यादा के घोटाले को अंजाम दिया. सिंह ने कहा प्रदेश के अलग-अलग शहरों में 19 जगह स्टिंग ऑपरेशन कराए गए. उसमें ये बात सामने आयी कि 50 रुपए के स्टाम्प के लिए 60 से 70 रुपए वसूले गए. इसी तरह 100 रुपए के स्टाम्प के एवज में 150 रुपए तो वहीं 5 सौ रुपए के स्टाम्प के लिए 6 सौ रुपए तक वसूले जा रहे हैं. स्टाम्प वेंडरों को स्टाम्प के एवज में डेढ़ से ढाई फीसदी तक कमीशन मिलता है.

यादव ने सबूत के साथ मुख्यमंत्री कमलनाथ से इस घोटाले की शिकायत की है. उन्होंने मुख्यमंत्री से कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई करने की मांग की है.

इस मामले में ये भी खुलासा हुआ कि सर्विस प्रोवाइडर के लिए तत्कालीन शिवराज सरकार ने कोई विशेष योग्यता निर्धारित नहीं की थी. किसी भी शिक्षित ग्रेजुएट व्यक्ति को इसका लाइसेंस जारी किया जा सकता है. ऐसे में बीजेपी से जुड़े लोग सर्विस प्रोवाइडर बन गए.

इंदौर,भोपाल,उज्जैन और देवास में हुए स्टिंग ऑपरेशन के बाद पंजीयन विभाग में हड़कंप मच गया है. इंदौर के वरिष्ठ जिला पंजीयक बीके मोरे का कहना है नियम के मुताबिक स्टाम्प वेंडर तय कीमत से ज्यादा दर पर स्टाम्प नहीं बेच सकता. उसे फिजिकल स्टाम्प के लिए ढाई फीसदी और ई स्टाम्प के लिए डेढ़ फीसदी कमीशन दिया जाता है. लेकिन वेंडर यदि स्टाम्प की दर से ज्यादा पैसे वसूल रहे हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. ऐसे सर्विस प्रोवाइडर्स के लाइसेंस निरस्त किए जाएंगे.

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